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________________ हसि करि हाथ साहीनइ मिला भोग भोगवु अतिह गहगही ( भ्रष्टाचारनुं आळ ) चालिउ कुमर वचन सांभली रोइ सकइ फाटइ हीयु कनकमाल ते विसमं धरइ उर-थणहर! मुह फाडइ तेय तृतीय सर्ग स्त्री- पुकार जव कुमरे सुणी राणी कहइ पूत थापिउ राय ) ( संवरराय अने प्रद्युम्न वच्चे युद्ध [सु]णी वयण राउ कोपइ चडिउ कुमर पां[च] सइ लेई हकारि मिली कुमर सवि एकठा थया तुम्हे आलोकण विद्या कहु तव सांणु साहस धीर च्यारिसइ नवाणू घाल्या वावि Jain Education International दूहा राती तु रंगिइ रमइ विरती हरइ पराण । स्त्री रूठी तं करइ जिम ते रा ॥३० चुपई सु. ... एक कुमार जिमसंवररायइ बइठउ जिहां सयल कुमर वा[वी घाली ] सुणी वयण कोपिउ मनि राय रहवर साजु गयवर गुडइ पायक सवि हीयरइ करी 2. पुहुता 1. थणहव सामी हिव मुझ आस्या फली हूं तम्हारी दासी सही कनकमालानइ आशा टली मूंहि इसउ कूकूउ कीयु कूटइ सिरनइ कूकू करइ केस छोडि मोकला मेल्हेय ****** कालसंवर सेन धाई घणी मुझनइ तेय विगोइयु आय जिम घी अधिक अगनिमांहि पडिउ वेगि पहुता 2 वनहमझारि पजूनकुमरनइ तेडवा गया कुमर सुणीनइ नवि सासहिउ नागपास बांध्या वडवीर उपरि वाली सिला सुभावि रायनइ जई जणावु सार आवी कुमर पुकारिउ तिहां उपरि दीधी सिल ते पालि आज कुमर भांजुं भडवाय तुरीय पल्हाणइ पाखर पडइ चतुरंगसेन घणी तिहां करी For Private & Personal Use Only ३०५ ३०६ २०७ ३०८ ३०९ ३१० ३११ ३१२ ३१३ ३१४ www.jainelibrary.org
SR No.002633
Book TitlePradyumnakumara Cupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalshekhar, Mahendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages196
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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