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________________ विलखवदनि हरि पेखि करि रुखमणि घरि आवी कहइ तृतीय सर्ग कंदल कुतिग पेखइ घणा एहवु आविउ नारद तिहां आविउ नारद दीठउ जिसिह एक पुत्र माहरइ जे थयु करजोडी वीनवइ रुखमणी नारद कहइ अइमतु केवली रुखमणि कहइ ते सिद्धिई गयु नारद कहइ अछइ मांहा विदेव (ह) Jain Education International उठिउ नारद ताम वार वार सिरनांम चुपई देस विदेस करावइ घणा मनि विलखाणी रूपणि जिहां रूपणि रोवा लागी तिसिइ न जाणूं कोई लेई गयु स्वामी सुद्धि कहु सुततणी पूछउ तुम्हे जईनई वली केवलि विण ए सांसु रहिउ सीमंधिर जिन देवहदेव ( नारदनुं महाविदेहक्षेत्रमां सीमंधरस्वामी पासे गमन ) पूछी आवुं सघलू इहा सीमंधिरनइ केवल थयु नारद कहइ हूं जाई तिहां तु नारद तव तिहांथी गयु नारद समोसरणि जव जाइ चक्रवर्ति 2 मुनि पूछइ तिहां ( सीमंधरस्वामीकथित प्रद्युम्नहरणनो जंबूदीवि भरहखित्त वसेस नगर शिरोमणि द्वारिकापुरी वासदेव नारायण जिहां नारायणि राणी रुखमिणी तेहनइ पुत्र एक जव थयु चांपि तेउ शल लेई तलइ पूर्वजन्म वयर सांभरी तेतलइ आविउ संवरराय 1. अचंभु. 2. चकवृर्ति. एहवां माणस उपजइ तिहां धर्मवात ते जाणइ घणी धूमकेत सुर लेई गयु भूखिइ तरसिंह ते टलवलंइ १९ १५८ For Private & Personal Use Only १५९ १६० १६१ १६२ घणु अचंभु देखी थाय एहवा माणसु पुए जइ किहां ? १६४ वृत्तान्त ) धर्मवंत तिहां सोरठदेस सागरमाझ देवे करी १६३ १-६५ १६६ १६७ धूमकेत चालिउ इम करी कुमर देखि लीयु घणइ उछाहिं १६८ www.jainelibrary.org
SR No.002633
Book TitlePradyumnakumara Cupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalshekhar, Mahendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages196
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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