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( बन्ने राणीओने पुत्रजन्म )
मास गर्भना या संपन लक्षणवंत दीठउ कुमार पेटि हसूकु पडीयु जिसि बिहुना दूत गया जेतलइ
( ज्येष्ठ पुत्र तरीके रुक्मिणीनो पुत्र )
सतभामा दूत उसीस रहिउ हरि जागिउ तव दीठउ नयणि पहिलं हरि हरखीनेइ दीइ पछइ वधाइ बीजु दीध
(पुत्रजन्म - महोत्सव )
विहुं नारिनय नंदन हुया नारी गावइ मंगल च्यारि वाजइ भेरि तूर कंसाल वाजइ धपमप मधुर मृदंग ( धूमकेतु द्वारा प्रद्युम्ननुं हरण )
छठी राति सवि जागइ जाम आवी सिंहासणि बइठा जिसिहं जोइ रूप तव अद्योतह थयुं हरि हुलावर जव करि धरी हरि जाणइ धावि लेई गई धूमकेतु चालीउ ते ग्रही 2 सिला एक बावन गजतणी रीसइ नांखिउ तेह ज बाल 1. मधुरे 2. गृही
तृतीय सर्ग
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रुखमणि जायु पुत्र एक दिन दासि आवी जणावी सार सतिभामा पुत्र जनमिउ तिसिहं सूता कृष्ण दीठा तेतलइ
रुखमणि-दूत पाग-तलि गयउ मांगइ बधाई मधुरे । वयणि रुखमणिदूत करजोडी लीइ भाइ वड्डु रूपणि-सुत कीध
आवइ घरि वधावा जूया बांभण वेद भणइ झंकार वाजइ संख मधुरस्वरि ताल घरि घरि उछव नव नव रंग
कृष्णराय पहुता ताम खोलइ पुत्र लेई मूकिउ तिसिइ प्रद्युम नाम गोपालइ कहिउ बाल धूमकेतु ले गयु हरी एय विमांसण सघलइ थई मारी नांखु समद्रिह सही लीधी ऊंची हाथिइ खणी उपरि सिला मेल्ही ततकाल
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