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प्रतिमा नासाग्र दृष्टि और क्रूरतादि १२ दोष (रौद्र, कृशांग, संक्षिप्तांग, चिपिट नासा, विरूपक नेत्र, हीनमुख, महोदर, महाहृदय, महाअंस, महाकटी, हीनजंघा, शुष्क जंघा) दोष रहित होवे ।
(आशाधर प्रतिष्ठा पाठ, पृष्ठ-७) प्रतिमा निर्माण कराने हेतु उत्तरात्रय, पुष्य, रोहिणी, श्रवण, चित्रा, धनिष्ठा, पुनर्वसु और आर्द्रा नक्षत्र और सोम, गुरु, शुक्रवार तथा जिन तीर्थंकर की प्रतिमा निर्माण कराना हो उनके गर्भकल्याणक का दिन शुभ है। कारीगर मद्य मांसादि का त्यागी और शिल्पज्ञ होवे।
कायोत्सर्ग प्रतिमा
खड्गासन
पद्मासन
[प्रतिष्ठा-प्रदीप]
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