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शास्त्र (जिनवाणी) प्रतिष्ठा विधि मन्त्र- ॐ अहँन्मुखकमल निवासिनि पापात्मक्षयंकरि श्रुत ज्वाला सहस्र प्रज्वलिते सरस्वति अस्माकं पापं हन हन दह दह पच पच क्षां क्षीं दूं क्षौं क्षः क्षीरवरधवले अमृतसंभवे वं वं हूं हूं स्वाहा। यह पढ़कर शास्त्र विराजमान करें। श्रुतभक्ति, सरस्वती पूजा करें।
रथ (गज या अन्य) यात्रा की विधि जहाँ से रथयात्रा प्रारंभ करना हो वहाँ यजमान व इन्द्रादि जिनाभिषेक व देवशास्त्र गुरुपूजा करके जिन की प्रतिमा को रथ में विराजमान करना हो, उनकी पूजा करें। फिर प्रतिमा, शास्त्र व पूजायंत्र, लघुसिद्ध यंत्र रथ में स्थापित करावें । सरसों द्वारा ९ बार णमोकार मन्त्र व ॐ हूं झुं फट् आदि मन्त्र को ९ बार जपकर ॐ क्षां क्षीं क्षों क्षौं क्षं क्षः स्वाहा इनको तथा ॐ ह्रां ह्रीं हूं हैं हैं हों हौं हं हः स्वाहा इन बीजाक्षरों को पढ़ते हुए दशों दिशाओं में सरसों फेंके । फिर एक थाली में दीप, धूप, धूपदान, हल्दी, सुपारी, अक्षत, पुष्प, सरसों, अगरबत्ती तथा बड़े कलश में जल मन्त्रितकर रख लेवें । रथ चलने पर जलधारा व सरसों क्षेपण दिशाओं में करते हुए धूपदान में मन्त्र पढ़ते हुए धूप क्षेपण करते रहें। रथ में प्रतिमा व यंत्र विराजमान हो जाने पर चैत्य भक्ति पाठ करें।
जयति सुरनरेन्द्र श्रीसुधा निर्मुटिष्याः, कुलधरणिधरोऽयं जैनचैत्याभिरामः ।
प्रविपुल जिनधर्मानोकुहाग्र प्रवाल- प्रसरशिखर शुभत्केतनः श्रीनिकेतः ।।
ॐ ह्रीं जंबुद्धीपे सुदर्शनमेरोीक्षणे आर्यखंडे... देशे... नगरे... चैत्यालयेभ्योऽयम् निर्वपामीति स्वाहा । रथयात्रा प्रारंभ करें | इसी अवसर पर निम्नलिखित मन्त्र जपते रहें -
१. ॐ णमो भगवदो अरिझुणेमिस्स अरिठेण बंधेण बद्धाणि रक्वसाणं भूयाणं भेयराणं चौराणं डायिणीणं सायिणीणं महोरगाणं बग्घाणं अण्ण चेके वि दुट्ठा संभवंति तेसिं रक्खणं सवणं मणं मुहं कोहं दिद्धि गर्दि बंधामि धणु धणु महा धणु धणु स्वाहा।
२. ॐ श्रीं ह्रीं हं कलिकुंड दंड स्वामिन् अतुलबल वीर्यपराक्रम आत्मविद्यां रक्ष रक्ष परविद्या छिंधि छिदिहूं फट् स्वाहा।।
यथाकोटि शिलापूर्वं चालिता सर्वविष्णुभिः । चालयामि ततोत्तिष्ठ शीघंचल महारथ ॥
इति शीघ्र चालन मन्त्रः स्थापनं तच्चतुर्दिक्षु बादकादेर्निवेशनम् । यातो रथेन यानेन विहारस्त्रिजगत्प्रभोः ।।
श्री बाहुबलि भगवान् की प्रतिष्ठा विधि १. ओं हां ही हूं हौं हः असि आ उ सा सर्व शान्तिं कुरु कुरु स्वाहा इस मन्त्र के ११००० जाप करें। २१८]
[प्रतिष्ठा-प्रदीप]
३.
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