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________________ ५. बुद्धि देवी- प्रश्न : जग में सुभट कौन है माय ? उत्तर : जे नर जीते विषय कषाय । ६. लक्ष्मी देवी-प्रश्न : कौन हने त्रय जग वश होय। उत्तर : मोह हने त्रय जग वश होय । ७. शान्ति देवी-प्रश्न : जग में कौन रतन है सार । उत्तर : सम्यग्दर्शन रतन अपार । ८. पुष्टि देवी- प्रश्न : जैनी कौन कहावे माय ? उत्तर : जे नर जीते विषय कषाय । प्रश्नोत्तर १. प्रश्न-कौन मात जग को वश करै? उत्तर : हित मित मिष्ट वचन उच्चरै । २. प्रश्न-मात कौन रोगी नहीं होय? उत्तर : जो विवेक से भोगी होय । ३. प्रश्न-मात कौन गुणों की खान? उत्तर : तीर्थकर सुत जने महान् । ४. प्रश्न-कौन धनी जग में सुखपाय ? उत्तर : संतोषी धनी सुखदाय । ५. प्रश्न- महिषी बतलाओ जिनवर क्या दे सकते हैं सुख दुःख नहीं ? जब तन है तो फिर है लगती क्या उन्हें भूख और प्यास नहीं ? उत्तर : होता अपना स्वामी निज ही भले बुरे का हर प्राणी । जब वीतराग हो गये कहाँ फिर भूख प्यास उनको मानी ।। ६. प्रश्न- हे महारानी ये प्राणी क्यों पाते हैं नाना क्लेश यहाँ ? दारिद दुःख सहकर भी क्यों नहीं जगता ज्ञान विवेक यहाँ ? उत्तर : है पूर्व पाप से मोही बनकर अगणित दुःख ये सहते हैं । बिन आत्म दृष्टि सद्ज्ञान नहीं सर्वज्ञ देव यह कहते हैं । ७. प्रश्न- हे मरुदेवी ! क्या हमें अभी मिल सकता मुक्ति प्रसंग नहीं । क्या मुक्ति प्रदायक तप कर, सकती भव का भंग नहीं । उत्तर : देवी देह में आई हो पायी नारी पर्याय यहाँ । समझो इन सर्व बबूलों से मिल सकते चंपक फूल कहाँ ।। १६०] [प्रतिष्ठा-प्रदीप] Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002630
Book TitlePratishtha Pradip Digambar Pratishtha Vidhi Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathulal Jain
PublisherVeer Nirvan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1988
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Vidhi
File Size19 MB
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