________________
'पंतालीस आगम
प्रश्न- विज्ञान का फल क्या है ? उत्तर-प्रत्याख्यान । प्रश्न- प्रत्याख्यान का फल क्या है ? उत्तर-संयम ।
कहीं-कहीं वैसे प्रश्नोत्तर भी हैं जिनमें पूरा शतक ही आ गया है। मंखलिपुत्र गौशालक के वर्णन से सम्बद्ध पन्द्रहवां शतक इसका उदाहरण है। जैन धर्म का विश्वकोश
प्रश्नोत्तर-क्रम के मध्य जैन तत्वज्ञान, इतिहास, अनेकानेक घटनाओं तथा विभिन्न व्यक्तियों का वर्णन, विवेचन इतना विस्तत हो गया है कि उनसे सम्बद्ध अनेक पहलओं का व्यापक ज्ञान प्राप्त होता है । इस अपेक्षा से इसे प्राचीन जैन ज्ञान का विश्वकोश (Encyclopaedia) कहना अतिरंजन नहीं होगा। अन्य ग्रन्थों का सूचन
विस्तार में जाते हुए विवरण को संक्षिप्त करने के निमित्त स्थान-स्थान पर प्रज्ञापना, जीवाभिगम, औपपातिक व नन्दी जैसे ग्रन्थों का उल्लेख करते हए उनमें से उन-उन प्रसंगों को लेने का सूचन किया है । नन्दीसूत्र वल्लभी वाचना के आयोजक एवं प्रधान श्री देवद्धिगणी क्षमाश्रमण की रचना माना जाता है। इसका भी इस ग्रन्थ में उल्लेख होने से तथा यहां के विवरणों को उसे देखकर पूर्ण कर लेने की जो सूचना की गई है, उससे यह प्रमाणित होता है कि इस श्रु तांग को वर्तमान रूप नन्दीसूत्र रचे जाने के पश्चात् वीर निर्वाण से लगभग १००० वर्ष पश्चात् ई० सन् ५२७ में प्राप्त हुआ है। वही स्थिति अन्य श्र तांगों के सम्बन्ध में भी घटित होती है । ऐसा होते हुए भी इसमें सन्देह नहीं कि विषयवस्तु पुरातन तथा प्राचार्य-परम्परानुस्यूत है। ऐतिहासिक सामग्री
भगवान् महावीर के जीवन-चरित्र, उनके अनेक शिष्य श्रावकगृहस्थ अनुयायी तथा अन्य तीर्थंकरों के सम्बन्ध में इस श्रु तांग में
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org