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जैनागम दिग्दर्शन
अथवा दक्षिण दिशा से आया हूं, अथवा पश्चिम दिशा से आया हूं, अथवा उत्तर दिशा से आया हूं, अथवा ऊर्ध्व दिशा से आया हूं, अथवा अघोदिशा से आया हूं, अथवा किसी अन्य दिशा से पाया हूं, अथवा अनुदिशा से आया हूं। . "एवमेगेसि यो रणातं भवति-अस्थि मे पाया प्रोववाइए, रगत्थि मे पाया प्रोववाइए, के अहं प्रासी ? के वा इनो चुनो इह पेच्चा भविस्सामि ?"
__इसी प्रकार कुछ मनुष्यों को यह ज्ञात नहीं होता-मेरी आत्मा पुनर्जन्म नहीं लेने वाली है, अथवा मेरो आत्मा पुनर्जन्म लेने वाली है। मैं पिछले जन्म में कौन था ? मैं यहां से च्युत होकर अगले जन्म में क्या होऊगा ?
"सेज्जं पुरण जाणेज्जा-सहसम्मुइयाए, परवागरणेणं, अण्णेसि वा प्रतिए सोच्चा, तं जहापुरथिमानो वा दिसानो आगो अहमंसि, दक्खिरणाप्रो वा दिशाम्रो प्रागो अहमंसि, पच्चत्थिमाओ वा दिसाओ पागो अहमसि, उत्तरानो वा दिसानो आगो अहमंसि, उड्ढामो वा दिसानो आगो अहमंसि, अहे वा दिसानो आगो अहमंसि, अण्णयरीमो वा दिसानो आगो अहमंसि, अण दिसानो या आगो अहमंसि ।"
कोई मनुष्य १. पूर्व जन्म की स्मृति से, २. पर (प्रत्यक्ष ज्ञानी) के निरूपण से, अथवा ३. अन्य (प्रत्यक्ष ज्ञानी के द्वारा श्रु त व्यक्ति) के पास सुनकर, यह जान लेता है, जैसे मैं पूर्व दिशा से आया हं, अथवा दक्षिण दिशा से आया हूं, अथवा पश्चिम दिशा से आया हूं, अथवा उत्तर दिशा से आया हूं, अथवा ऊर्ध्व दिशा से आया हूं, अथवा अधो दिशा से आया हूं, अथवा किसी अन्य दिशा से आया हूं, अथवा अनुदिशा से आया हं।।
"एवमेगेसि जं रणातं भवइ-अस्थि मे आया अोववाइए। जो इमानो दिशाम्रो अणु दिसानो वा अण संचरइ, सव्वाप्रो दिसामो सव्वाप्रो अणु दिसायो जो प्रागग्रो अण संचरइ सोहं ।"
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