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यह छेव सूत्र 110-126 छेद सूत्र 110,
(1) निमीह, शब्द का अर्थ 111, रचना : रचनाकार 112, व्याख्या साहित्य 113,
( 2 ) महानिसीह 113, ऐतिहासिकता 114,
( 3 ) ववहार 114, कतिपय महत्त्वपूर्ण प्रसंग 116, रचयिता और व्याख्याकार 118,
(4) दसासुयक्खंध 118, गणि सम्पदा रचनाकार : व्याख्या साहित्य 121,
(5) कप्प 121, कलेवर : विषय वस्तु 121, कतिपय महत्त्वपूर्ण उल्लेख 122, रचना एव व्याख्या साहित्य 123,
( 6 ) पंचकप्प 125.
125,
पत्त 125, रचना : व्याख्या साहित्य
छह मूल सूत्र
126-168
126,
मूल-सूत्र 126, मूल: नामकरण क्यों ? पाश्चात्य विद्वानों द्वारा विमर्ष 127, प्रो. शर्पेण्टियर का मत 127, डॉ. वाल्टर शुनिंग का अभिमत 127, प्रो. गेरीनो की कल्पना 128, समीक्षा 128,
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118,
(1) उत्तरज्झयण, नामः विश्लेषण 129, विमर्ष 131, नियुक्तिकार का अभिमत 133. भद्रबाहुना प्रोक्तानि का अभिप्राय 134, विमर्ष : समीक्षा 134, विषय-वस्तु 135, हृष्टान्त कथानक 136, व्याख्या - साहित्य 137,
सार्थकता 137, व्याख्या
(2) श्रावस्सय, नाम साहित्य 139,
( xii )
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