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पैताली आमग
नवम उद्दे शक में साधु की प्रतिमाओं तथा अभिग्रह का और दशम अध्ययन में यवमध्य - चन्द्र प्रतिमा, वज्र - मध्य - चन्द्र प्रतिमा आदि का वर्णन है ।
दशम अध्ययन में शास्त्राध्ययन की का विवेचन है, जो प्रत्येक साधु-साध्वी के अनुसार निम्नांकित दीक्षा - पर्याय - सम्पन्न साधु • शास्त्राध्ययन का अधिकारी है :
दीक्षा - पर्याय
तीन वर्ष
चार वर्ष
पांच वर्ष
आठ वर्ष
दश वर्ष
ग्यारह वर्ष
बारह वर्ष
तेरह वर्ष
चौदह वर्ष पन्द्रह वर्ष
सोलह वर्ष
सतरह वर्ष
अठारह वर्ष
उन्नीस वर्ष
बीस वर्ष
मर्यादा एवं नियमानुक्रम लिए ज्ञातव्य है । उसके निम्नांकित रूप में
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शास्त्र
प्रचार-कल्प
सूत्रकृतांग
दशाश्रु तस्कन्ध, कल्प और
व्यवहार
स्थानांग, समवायांग
व्याख्या प्रज्ञप्ति
क्षुल्लिका -विमान- प्रविभक्ति, महती - विमान - प्रविभक्ति, अंगचूलिका, वंग (वर्ग) - चूलिका एवं व्याख्या - चूलिका अरुणोपपात, गरुडोपपात, वरुणोपपात, वैश्रमणोपपात, वेलंधरोपपात ।
उत्थान - श्रुत, समुत्थान-श्रुत, देवेन्द्रोपपात, नागपरियापनिका
स्वप्न अध्ययन
चारण-भावना अध्ययन
वेद- निसर्ग
आशीविष- भावना - अध्ययन दृष्टि - विष - भावना - अंग दृष्टिवाद अंग
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