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आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[खण्ड : ३
२.बंग, ३. मगध,४. मलय, ५ मालव, ६. अच्छ, ७. वत्स, ८. कौत्स, ६. पाठ,१०. लाट ११. वज. १२. मौलि, १३. काशी, १४. कौशल, १५. अवाध, १६. संमुत्तर आदि सोलह देशों की घात, वध, उच्छेद तथा भस्म करने में समर्थ हो सकता है। तेजोलेश्या के प्रतिघात के लिए जिस शक्ति का प्रयोग किया जाता है, उसे शीत तेजोलेश्या कहा
जाता है। त्रास्त्रिश-गुरु-स्थानीय देव । त्रिदण्डी तापस-मन, वचन और काय रूप तीनों दण्डों से दण्डित होने वाला तापस । दर्शन-सामान्य-विशेषात्मक पदार्थ के सामान्य धर्मों को गौण कर केवल विशेष धर्मों को
ग्रहण करना। वश म तप-चार दिन का उपवास, चोला । दिक्कुमारियां-तीर्थङ्करों का प्रसूति कर्म करने वाली देवियाँ । इनकी संख्या ५६ होती है।
इनके आवास भी भिन्न भिन्न होते हैं। आठ अधोलोक में, आठ ऊर्ध्वलोक-मेरुपर्वत पर आठ पूर्व रुचकाद्रि पर, आठ दक्षिण रुचकाद्रि पर, आठ पश्चिम रुचकाद्रि पर, आठ उत्तर रुचकाद्रि पर, चार विदिशा के रुचक पर्वत पर और चार रुचक द्वीप पर रहती
दिगविरति व्रत-यह जैन श्रावक का छट्ठा व्रत है । इसमें श्रावक दस दिशाओं में मर्यादा
उपरान्त गमनागमन करने का त्याग करता है। विशाचर -पथ-भ्रष्ट (पतित) शिष्य। दुःषम-सुषम-अवसर्पिणी काल का चौथा आरा, जिसमें दुःख की अधिकता और सुख की
अल्पता होती है। देव-औपपातिक प्राणी। ये चार प्रकार के होते हैं-१. भुवनपति, २. व्यंतर, ३. ज्यो
तिष्क और ४. वैमानिक। १. भवन पति-रत्नप्रभा की मोटाई में बारह अन्तर हैं । पहले दो खाली हैं। शेष दस में रहने वाले १. असुरकुमार, २. नागकुमार, ३. सुपर्ण कुमार, ४. विद्यत्कुमार, ५. अग्नि कुमार, ६. द्वीपकुमार, ७. उदधिकुमार, ८. दिक्कुमार, ६. वायुकुमार और १०. स्तनितकुमार देव। ये बालक की तरह मनोरम क्रान्ति से युक्त हैं; अतः इनके नाम के साथ कुमार शब्द संयुक्त है । इनके आवास भुवन कहलाते हैं; अतः ये देव भुवनपति
२. व्यंतर-पिशाच, भूत, यक्ष, राक्षस, किन्नर, किंपुरुष, महोरग, गन्धर्व आदि। ३. ज्योतिष्क-चन्द्रमा, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र, तारा। ४. वैमानिक-वैमानिक देव दो प्रकार के होते हैं-१. कल्पोपपन्न और २. कल्पातीत कल्प का तात्पर्य है—समुदान, सन्निवेश, विमान जितनी फैली हुई पृथ्वी, आचार; इंद्र सामानिक आदि के रूप में बन्धी हई व्यवस्थित मर्यादा। वे बारह हैं.-१. सौधर्म, २. ईशान, ३. सनत्कुमार, ४. माहेन्द्र, ५. ब्रह्म, ६. लांतक, ७. शुक्र, ८. सहस्रार ६. आनत, १०. प्राणत, ११. आरण और १२. अच्युत ।
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