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तत्त्व : आचार : कथानुयोग] कथानुयोग-नमि राजर्षि : महाजनक जातक ६०३ में रहती हुई वह ध्यान-साधना करने लगी। उसे योग विधि का अभ्यास सवा, ध्यान-लाभ हुआ। देह त्याग कर ब्रह्मलोक गामिनी हुई। उपसंहार
तथागत-भगवान बुद्ध ने भिक्षुओं को सम्बोधित कर कहा-"भिक्षुओ ! तुम्हें मैंने यह कथानक इस लिए बतलाया है, जिससे तुम जान सको कि तथागत ने न केवल इस जन्म में वरन् पहले भी अभिनिष्क्रमण किया है। जिस समय की बात यह मैंने कही है,उस समय सारिपुत्त नारद था। मौद्गलायन मिगाजिन था। क्षेमा भिक्षुणी कुमारिका थी। आनन्द बांस का कारीगर था। राहुल-माता यशोधरा सीवळी थी। राहुल दीर्घायु कुमार था। राजा महाजनक तो मैं ही स्वयं था।
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