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आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[ खण्ड : ३
यह प्रतीति हुई कि एक द्वीप पर ही नहीं, यह चारों द्वीपों पर शासन करने में सक्षम है । पुरोहित ने फिर वाद्य ध्वनि करवाई । राजकुमार ने अपने मुंह पर से वस्त्र हटाया । करवट बदली । फिर लेटा रहा । लेटे-लेटे, वहाँ आये हुए लोगों को देखता रहा । राजपुरोहित ने वहां खड़े हुए लोगों को दूर किया । वह बोधिसत्त्व के समीप आया । उसने अपने दोनों हाथ जोड़े। विनत होकर निवेदन किया – “कुमार ! उठिए, आप राज्य के अधिकारी मनोनीत हुए हैं । "
राजकुमार - " तुम्हारे राज्य का राजा कहाँ है ?" राजपुरोहित - "राजा दिवंगत हो गया । '
राजकुमार—'क्या उसके कोई बेटा नहीं है, भाई नहीं है ?" राजपुरोहित - "देव ! उसके पुत्र या भाई नहीं है ।" राजकुमार — "अच्छा, मैं राज्य शासन सम्हालूंगा ।"
राजकुमार उठा, मंगल- शिला पर सुखासन में बैठ गया । वहीं पर उसका राजतिलक कर दिया गया। यों महाजनक कुमार राजा हो गया । वह उत्तम रथ पर आरूढ़ होकर बड़े उल्लास के साथ नगर में संप्रविष्ट हुआ ।
महाजनक कुमार राजमहल में गया, जहाँ दिवंगत राजा पोळजनक की एकमात्र सन्तान राजकुमारी सोवळी देवी रहती थी। सीवळी देवी ने उसकी योग्यता, प्रतिभा एवं [सामर्थ्य का बहुत प्रकार से परीक्षण किया । वह परीक्षण में सफल निकला । राजकुमारी परितुष्ट हुई । उसने उसे राजा और अपने पति के रूप में स्वीकार किया ।
कुशल शासक, महान् दानी
महाजनक मिथिला का राज्य करने लगा । उसने नगर के चारों दरवाजों पर चार तथा नगर के मध्य में एक-यों पाँच दानशालाएँ बनवाईं। प्रचुर दान देने लगा । उसने चम्पानगर से अपनी मां को तथा आचार्य महाशाल को, जिसने उसका तथा उसकी माता का पालन-पोषण किया था, बुलाया, उनका बड़ा सम्मान किया ।
महाजनक अत्यन्त बुद्धिमत्ता, कुशलता एवं सहृदयता से राज्य करने लगा । समग्र विदेह राष्ट्र में उसका यश फैल गया । लोग यह जानकर हर्षित हुए कि राजा अरिट्ठजनक का पुत्र महाजनक राज्य कर रहा है । वह प्रज्ञाशील है, सुशासक है । वे तरह-तरह के उपहार लेकर मिथिला में उपस्थित हुए । नगर में उत्सव आयोजित हुआ । सब ओर आनन्द
छा गया ।
राजा महाजनक दश राजधर्मों के अनुरूप शासन करता था । कुछ समय पश्चात् महारानी सीवळी देवी ने उत्तम लक्षण युक्त पुत्र का प्रसव किया। उसका नाम दीर्घायुकुमार रखा । दीर्घायुकुमार क्रमश: बड़ा हुआ, तरुण हुआ । राजा ने उसे उपराज-पद पर प्रतिष्ठित किया । राजकुमार अपने पिता के सहयोगी के रूप में कार्य करने लगा ।
वैराग्य की उद्भावना
एक दिन का प्रसंग है, राजोद्यान का मालाकार भिन्न-भिन्न प्रकार के फल एवं फूल लाया । राजा को भेंट किये । राजा प्रसन्न हुआ । मालाकार को पुरस्कृत किया, उससे
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