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आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
१७. सिंह और शशक : निग्रोध मृग जातक
सिंह और शशक
निग्रोध मृग जातक
प्रवंचना
सुन्दरी नन्दा द्वारा प्रव्रज्या लावण्य की दुर्गंत जरा में परिणति भगवान् द्वारा नन्दा को उपदेश सम्यक् बोध : उद्गम
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एक समझौता
चातुर्य का चमत्कार आवेश का फल
१८. कपटी मित्र : प्रवंचना : कूट वाणिज जातक
कपटी मित्र
सन्दर्भ-कथा
बोधिसत्त्व निग्रोध मृग रूप में
राजा की आखेट प्रियता एक-एक बारी-बारी से गर्भिणी मृगी की बारी गर्भिणी के बदले निग्रोध मृग
समस्त प्राणियों के लिए अभयदान
दो मित्र विश्वासघात
धन के बदले कोयले
जैसे को तैसा
श्रेष्ठपुत्र सुमित्र
वसुमित्र
व्यापारार्थ प्रस्थान
धन हड़पने की चाल
भाग्योदय : राजकन्या से विवाह
वसुमित्र का षड्यन्त्र
अपने षड्यन्त्र का स्वयं शिकार सुमन्त का श्रीपुर-आगमन
कूट वाणिज जातक (१)
कूट व्यापारी तथा पण्डित व्यापारी
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[ खण्ड : ३
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