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आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[खण्ड :३ दुःखी थे। उन्होंने उनकी ओर जरा भी ध्यान नहीं दिया। उन्हें आँख उठाकर देखा तक नहीं। वे निराश होकर वापस लौट गई।
राम ने लक्ष्मण से कहा- "तात ! सुग्रीव के शत्रु को हमने मार डाला है । उसका कार्य सिद्ध हो गया है। इस समय वह हमारे समक्ष अपने द्वारा की गई प्रतिज्ञा को भूल गया है, निश्चिन्त होकर भोग-विलास में रत हो गया है । जाओ, तुम उसे सावधान करो। उसकी प्रतिज्ञा याद दिलाओ।" राम की आज्ञा से लक्ष्मण सुग्रीव के पास आया । उसे कठोरता पूर्वक डाटा, फटकारा। सुग्रीव अपनी भूल के लिए क्षमायाचना करने लगा। वह लक्ष्मण के साथ राम की सेवा में उपस्थित हुआ। उन्हें आश्वस्त किया तथा अपने सेवकों के साथ सीता की खोज में निकल पड़ा । सीता के सहोदर रथनूपुर नगर के राजा भामंडल को भी सीता के हरे जाने का संवाद भेज दिया।
रत्नजटी विद्याधर द्वारा संकेत
ग्राम, नगर, वन, पर्वत, कन्दरा, मैदान, उद्यान-सर्वत्र सीता की खोज करता हुआ सुग्रीव कम्बुशैल पर्वत पर पहुँचा। उसने वहाँ रत्न जटी नामक विद्याधर को जो क्षत-विक्षत था, पीड़ा से कराहते हुए देखा। रत्नजटी ने सुग्रीव से कहा-'सीता का हरण कर उसे इधर से ले जाते हुए रावण को मैंने देखा । मैंने उसका विरोध किया, उसे रोकने का प्रयत्न किया। रावण ने मेरी विद्याएँ छिन्न-विच्छिन्न कर दी और मुझे इस स्थिति में पहुंचा दिया। मैं इतना अशक्त और क्षीण हो गया हूँ कि इस समय राम को समाचार देने तक में असमर्थ हूँ।"
सुग्रीव ने रत्नजटी को उठाया और वह उसे राम के पास ले गया। रत्नजटी ने राम को सीता की खबर विस्तार से सुनाई। राम को इससे धीरज बंधा। राम उस पर बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने अपने शरीर के आभरण उतारकर रत्नजटी को पुरस्कार के रूप में प्रदान किये तथा उससे पूछा कि बतलाओ-"लंका नगरी किस स्थान पर है ?"
विद्याधर रत्नजटी ने बताया- "लवण समुद्र के मध्य राक्षस द्वीप में त्रिकूट पर्वत पर लंका नगरी अवस्थित है। वहाँ रावण राज्य करता है। रावण दशमुख और दशानन के नाम से भी प्रसिद्ध है। उसके विभीषण तथा कुंभकर्ण नामक भाई हैं। इन्द्रजित तथा मेघनाद आदि पुत्र हैं। वह अत्यन्त पराक्रमी हैं । नौ ग्रह भी सेवक के रूप में उसकी परिचर्या करते हैं।"
राम-लक्ष्मण बोले-"रत्नजटी ! छिपकर पर स्त्री का हरण करने वाले की क्या प्रशंसा करते हो ? हम उसका वध करेंगे। लंका को ध्वस्त कर डालेंगे और हम सीता को अनायास वहाँ से ले आएंगे। रावण को हम ऐसी शिक्षा देंगे कि भविष्य में कोई भी मनुष्य दूसरे की स्त्री का अपहरण करने का दुःसाहस नहीं करे।"
सुग्रीव के मंत्री जाम्बवंत ने कहा- 'एक समय की बात है, रावण ने अनन्त वीर्य नामक मुनि से पूछा कि मेरी मृत्यु किसके हाथ से है ? मुनि ने उसे बतलाया कि जो कोटिशिला को उठा सकेगा, उसी के हाथों तुम्हें मारे जाने का भय है।"
___ यह श्रवण कर राम, लक्ष्मण तथा सुग्रीव ने सिन्धु देश की ओर प्रस्थान किया । जहाँ कोटिशिला थी, वहां पहुंचे। मुनि ने बताया था कि कोटि शिला की ऊँचाई और मोटाई एक योजन उत्सेधांगुल है। उस पर भरत क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी निवास करती है। कोटि-कोदि
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