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________________ तत्व : आचार : कथानुयोग ] शिवि जातक विषयानुक्रम Jain Education International 2010_05 द्वारवती विजय विशाल राज्य परस्पर भीषण संघर्ष : विनाश बलदेव की यक्ष के हाथ मौत वासुदेव का जरा शिकारी के बाण से शरीरारान्त शास्ता द्वारा धर्म देशना १२. राजा मेघरथ : कबूतर और बाज : शिवि जातक राजा मेघरथ वासुदेव के पुत्र की मृत्यु : अत्यधिक शोक घट पण्डित द्वारा युक्ति पूर्वक शोक-निवारण कृष्ण द्वैपायन की हत्या कबूतर द्वारा अभय-दान की याचना करुणा - - विगलित राजा आश्वासन श्येन का पौषधशाला में आगमन राजा मेघरथ और श्येन का आलाप-संलाप करुणा का अनुपम उदाहरण देव माया इन्द्राणियों द्वारा परीक्षा मेघरथ द्वारा संयम : तप: समाधि-मरण धर्म-सभा में भिक्षुओं का वार्तालाप शास्ता द्वारा इंगित बोधिसत्त्व महाराज शिवि के पुत्र रूप में शिविकुमार की दानशीलता मुंहमांगे दान का संकल्प शक्र द्वारा परीक्षा ब्राह्मण द्वारा नेत्र - याचना शिवकुमार द्वारा स्वीकृति सीवक वैद्य : नेत्रोत्पाटन नेत्र दान राजा का औदासीन्य शक्र का राजा के पास आगमन नेत्रों की पुनरूपलब्धि दान की महिमा : प्रेरणा For Private & Personal Use Only ५५६ ५५६ ५५७ ५५७ ५५६ ५६० ५६० ५६१ ५६१ ५६२-५७६ ५६२ ५६२ ५६२ ५६३ ५६३ ५६३ ५६४ ५६५ ५६५ ५६७ ५६७ ५६७ ५६७ il ५६८ ५६८ ५६८ ५६६ ५६६ ५७० ५७१ ५७२ ५७३ ५७३ ५७४ ५७५ www.jainelibrary.org
SR No.002623
Book TitleAgam aur Tripitak Ek Anushilan Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagrajmuni
PublisherConcept Publishing Company
Publication Year1991
Total Pages858
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, Conduct, & Story
File Size17 MB
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