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________________ [ खण्ड : ३ ५७७-५८२ भागम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन १३. इभ्यपुत्रों की प्रतिज्ञा : राजोवाद जातक इम्य पुत्रों की प्रतिज्ञा धन का नशा : आगे पीछे का विवाद एक शर्त : एक संकल्प उद्यमी: आलसी हताश : निराश सार : शिक्षा ५७७ ५७७ ५७८ ५७८ ५७८ ५७६ राजोवाद जातक ५७६ भगवान बुद्ध द्वारा कोशल-नरेश को प्रेरणा ५७६ ब्रह्मदत्तकुमार : न्यायपूर्वक राज्य ५७६ दुर्गण-अन्वेषण ५८० कोशल-नरेश मल्लिक का सामना ५८० बड़े-छोटे का विवाद ५८१ शील की कसौटी व८१ मल्लिक द्वारा ब्रह्मदत्तकुमार का गुणानुसरण ५८२ १४. नमि राजर्षि : महाजनक जातक ५८३-६०३ नमि राजषि ५८४ मदन रेखा रत्नकम्बल में लिपटा शिशू पदम रथ द्वारा नमि को राज्य भीषण दाह-ज्वर कंकण का प्रसंग-अन्तर्मुखीन चिन्तन धारा द्वन्द्व में दुःख ही दुःख प्रत्येक बुद्धत्व-लाभ ५८५ प्रत्येकबुद्ध नमि : ब्राह्मण के रूप में शकेन्द्र : एक तात्विक प्रसंग ५८६ xxxxxx xxKKK ५८५ ५८५ महाजनक जातक तथागत के महा अभिनिष्क्रमण की चर्चा मिथिलाधिप महाजनक अविश्वास : विद्वेष सत्य-क्रिया लोकप्रियता पराजय : निष्क्रमण ब्राह्मण द्वारा परिरक्षण ५८८ ५८८ ५८६ ५८६ ५८६ ५८६ ५८६ ५६० ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002623
Book TitleAgam aur Tripitak Ek Anushilan Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagrajmuni
PublisherConcept Publishing Company
Publication Year1991
Total Pages858
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, Conduct, & Story
File Size17 MB
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