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________________ तत्त्व : आचार : कथानुयोग ] विषयानुक्रम xlvii ५२७ لي للسد اللہ ० मल्ल-युद्ध का आयोजन ५१६ कष्ण का विनय एवं शालीन भाव ५१६ कालिय-दमन ५२० कृष्ण-बलराम द्वारा हाथियों का वध ५२० कृष्ण द्वारा चाणूर का वध ५२१ कृष्ण द्वारा कंस का प्राणान्त ५२३ बलराम द्वारा मुष्टिक का हनन ५२३ पुत्र-वात्सल्य ५२३ गर्वोद्धत जीवयशा ५२४ जरासन्ध के आदेश से सोमक का मथुरा-गमन ५२५ कृष्ण : कोपाविष्ट ५२५ ज्योतिविद् क्रौष्टुकि ५२६ कालकुमार की मृत्यु चारण-मुनि अतिमुक्तक द्वारा भविष्य-कथन ५२८ द्वारिका की रचना ५२८ कृष्ण का राज्याभिषेक ५२६ कृष्ण-रुक्मिणी-विवाह : प्रद्युम्न का जन्म घूमकेतु देव द्वारा प्रद्युम्न का अपहरण प्रद्युम्न का द्वारिका-प्रत्यागमन यवन-द्वीप के व्यापारी: रत्न-कम्बल कृष्ण और जरासन्ध का युद्ध : जरासन्ध का वध अरिष्टनेमि का अपरिमित पराक्रम ५३२ कष्ण और अरिष्टनेमि में शक्ति परीक्षण कृष्ण की आशंका आकाश-वाणी अरिष्टनेमि की वरयात्रा : वैराग्य : प्रव्रज्या ५३४ मातृ-हृदय : वात्सल्य ५३६ गज सुकुमाल का जन्म ५३७ वैराग्य : प्रव्रज्या ५३७ विमुक्ति ५३७ भय से सोमिल की मृत्यु ५३८ अनेक यदुवंशीय पुरुषों एवं महिलाओं द्वारा प्रव्रज्या रोगनाशिनी भेरी भेरी रक्षक का लोभ भगवान् अरिष्टनेमि का द्वारिका-आगमन ५४० विविध जिज्ञासाएँ : उत्तर ५४१ اللہ ० سے ५३२ विवाह arm" Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002623
Book TitleAgam aur Tripitak Ek Anushilan Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagrajmuni
PublisherConcept Publishing Company
Publication Year1991
Total Pages858
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, Conduct, & Story
File Size17 MB
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