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________________ तत्त्व : आचार : कथानुयोग ] fuiiभूत जातक विषयानुक्रम संगीत-निष्णात चाण्डाल कुमार निराशा : प्रव्रज्या तेजोलेश्या का प्रक्षेप Jain Education International 2010_05 भोग संपृक्त निदान चित्त-संभूति: पुनर्जन्म चूलनी द्वारा ब्रह्मदत्त की हत्या का असफल प्रयत्न ब्रह्मदत्त: चक्रवर्ती पद जाति-स्मरण ज्ञान की उत्पत्ति : भाई का अन्वेषण चित्त : दीक्षा : अवधि- ज्ञान श्लोक- पूर्ति चक्रवर्ती द्वारा मुनि-दर्शन भ्रातृ-मिलन तत्त्वालाप धर्मोपदेश दो भिक्षुओं का घनिष्ठ सौहार्द विशिष्ट शिल्पकुशल चित्त-संभूत दिट्ठमंगलिकाएँ अपशकुन : मारपीट : तक्षशिला गमन चाण्डाल - भाषा का प्रयोग ब्रह्मचारियों द्वारा प्रताड़ना ऋषि प्रव्रज्या : उत्तर- भव पूर्व-स्मृति मंगल-गीत : दो गाथाएँ उद्बोधन का उपक्रम गीत-कुशल बालक गीत : प्रतिगीत धर्मानुशासन मार्ग-दर्शन ६. राजा इषुकार : हत्थिपाल जातक राजा इषुकार छः वणिक पुत्रों द्वारा दीक्षा : संयम-तारतम्य अग्रिम भव For Private & Personal Use Only xxxix ३७३ ३७३ ३७३ ३७३ ३७४ ३७४ ३७५ ३७५ ३७५ ३७५ ३७५ ३७६ ३७६ ३७६ ३७८ ३७८ ३७८ ३७६ ३७६ ३७६ ३८० ३८० ३८१ ३८१ ३८१ ३८१ ३८२ ३८४ ३८६ ३८६–४११ ३६० ३६० ३६० www.jainelibrary.org
SR No.002623
Book TitleAgam aur Tripitak Ek Anushilan Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagrajmuni
PublisherConcept Publishing Company
Publication Year1991
Total Pages858
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, Conduct, & Story
File Size17 MB
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