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मागम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[खण्ड : ३
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३६० ३६० ३६१ ३६२
३६३
भृगुपुरोहित दो पुत्रों का जन्म मुनि-दर्शन : वैराग्य पिता एवं पुत्रों के बीच तात्त्विक वार्तालाप पिता भृगु पुरोहित को भी वैराग्य पुरोहित-पत्नी दशा का अनुरोध पुरोहित द्वारा समाधान यशा द्वारा पति एवं पुत्रों का अनुसरण रानी द्वारा राजा को प्रतिबोध राजा और रानी साधना की दिशा में
३६४ ३६४ ३६४ ३६४ ३६५
हरिपपामगावक
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३६६ कथा-प्रसंग
३६६ राजा एसुकारी और पुरोहित का सौहार्द ३६६ दरिद्रा और उसके सात पुत्र वक्ष-देवता : अनुरोध : मूलोच्छेद की धमकी ३६७ ब्राह्मण को चार पूत्रों का वरदान हस्तिपाल : अश्वपाल : गोपाल : अजपाल हस्तिपाल का पिता के साथ धर्म-संवाद ३६८ हस्तिपाल द्वारा निष्क्रमण
४०१ अनुजवृन्द एवं जन-समुदाय द्वारा अनुसरण ४०१ पुरोहित द्वारा ब्राह्मण-समुदाय के साथ अनुगमन प्रव्रज्या-प्रयाण
४०४ पुरोहित-पत्नी द्वारा ब्राह्मणियों के साथ अनुगमन ४०५ राजमहिषी द्वारा राजा को प्रति बोध ४०६ महाराजा को वैराग्य : प्रयाण महारानी द्वारा अभिनिष्क्रमण समग्र नर-नारी उसी पथ पर आवास : आश्रम
४०६ सूनी वाराणसी : एक राजा विरक्ति छः अन्य राजा उसी पथ पर
४११ उपसंहार
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४१२-४२६
७. अर्जुन मानाकार : मंगुलिमाल अर्जुन मालाकार
अर्जुन एवं बन्धुमती मुद्गरपाणि
४१३ ४१३ ४१३
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