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आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[खण्ड : ३
ब्राह्मणकुमारों की दुर्दशा: यज्ञाधिपति द्वारा क्षमा-याचना मुनि द्वारा भिक्षा ग्रहण देवोत्सव : तप का माहात्म्य उद्बोधन
१४७ १४८ १४८ १४८
मातंग जातक
१५०
१५०
१५१
१५२ १५२ १५३ १५३ १५४
पिण्डोल भारद्वाज दिटु मंगलिका दिट्ठ मंगलिका द्वारा क्षोभ मातंग का आग्रह : दिट्ठ मंगलिका की प्राप्ति मातंग द्वारा प्रव्रज्या महाब्रह्मा का अवतरण दिट्ठ मंगलिका के गर्म पुत्र-प्रसव मंडव्यकुमार ब्रह्मभोज मातंग पण्डित भिक्षु का अपमान बोधिसत्त्व के मृदु वचन अवहेलना यक्षों द्वारा दण्ड दिट्ट मंगलिका द्वारा अनुगमन : अनुनय अमृतोषध अहंकार-मार्जन
१५४ १५४
१५६
१५८ १५६
२. राजा प्रवेशी : पायासी राजन्य
१६४-२०३
राजा प्रदेशी
आमलकल्पा सूर्याभदेव
१६५ भगवान् महावीर दर्शन की उत्कण्ठा : तैयारी १६५ दर्शन : वन्दन सूर्याभदेव : दिव्य नाट्य-विधि
१६७ सूर्याभ का पूर्व-मव
१६८ श्रमण केशी कुमार : श्रावस्ती-आगमन १६८ राजा प्रदेशी के प्रश्न : श्रमण केशी द्वारा समाधान
१७१ अवसान
१८५
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