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- आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[खण्ड :३
सेनक ने उन्हें पूछा-"राजा के प्रश्न का समाधान ध्यान में आया?" वे बोले- "हमारे कुछ भी ध्यान में नहीं आया।" सेनक बोला-"जानते हो, इसका परिणाम क्या होगा ?" उन तीनों ने कहा-"आपको बचाव का कोई मार्ग मिला?" सेनक ने कहा – “मुझे इस सम्बन्ध में कुछ भी नहीं सूझा।"
उन्होंने कहा--"जब आपको ही कुछ नहीं सूझा तो हमें क्या सूझता। राजा के समक्ष हमने डींग हांकी थी कि हमें सोचने का समय दो। हम सोच विचार कर आपको कहेंगे, पर, हम कुछ भी नहीं सोच सके। हमारी ओर से उत्तर न दिये जाने पर राजा को क्रोध आयेगा।"
सेनक बोला-"क्या किया जाए, हमको इस प्रश्न का न तो कोई समाधान अब तक सूझ सका है और न आगे सूझ सकने की संभावना है। महौषध ने हमारी अपेक्षा कोई सौगुना अधिक गहरा चिन्तन किया होगा। आओ, चलें, उसी से पूछे ।" वे चारों महौषध पण्डित के घर गये, अपने आने की महौषध को सूचना कराई। महौषध ने उनको भीतर बुलाया । वे घर मे गये। महौषध का कुशल समाचार पूछा तथा एक ओर खड़े हो गये। उन्होंने महौषध से पूछा -"पण्डित ! राजा के प्रश्न का समाधान तुम्हारे ध्यान में आया ?"
महौषध ने कहा- “मेरे ध्यान में नहीं आयेगा तो और किसके ध्यान में आयेगा । मैंने समाधान सोच लिया।"
पण्डितों ने कहा-"तो हमें भी बतला दो।"
बोधिसत्त्व ने विचार किया कि मैं इन पण्डितों को समाधान नहीं बतलाऊंगा तो राजा इन्हें राज्य से निर्वासित कर देगा तथा मेरा सप्तविध रत्नों से सम्मान करेगा । यह जानते हुए भी, ये मूर्ख पण्डित नष्ट न हो; इसलिए वह समाधान मुझे इन्हें भी बतला देना चाहिए। यह सोचकर उसने उन चारों पण्डितों को निम्न आसन पर बिठाया, हाथ जुड़वाए। उन चारों के लिए पालि में चार गाथाओं की रचना की। बात का कुछ भी सन्दर्भ न बताते हुए उनमें से प्रत्येक को एक-एक गाथा सिखा दी और कहा कि राजा जब प्रश्न करे तो क्रमश: इन गाथाओं द्वारा उसे उत्तर देना । बाकी मैं सम्भाल लूंगा।
दूसरे दिन महौषध तथा चारों पण्डित राजदरबार में गये, अपने लिए बिछे हुए आसनों पर बैठ गये।
सबसे पहले राजा ने सेनक को सम्बोधित कर कहा-'सेनक ! क्या मेरे प्रश्न का समाधान तुम्हारे ध्यान में आया ?"
सेनक-"राजन् ! मेरे ध्यान में नहीं आयेगा तो किसके ध्यान आयेगा ?" राजा-"तो बतलाओ।"
सेनक-"राजन् सुनें-मन्त्रि-पुत्रों तथा राज-पुत्रों को भेड़ का मांस प्रिय एवं रुचिकर है । वे सुनख-तीक्ष्ण पंजों-वाले कुत्ते को कभी मांस नहीं देते । यही कारण है कि
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