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-आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
आम्ल मात
महौषध पण्डित की परीक्षा के अभिप्राय से एक दिन राजा मे प्राचीन यवमज्झक ग्रामवासियों के पास अपना आदेश भिजवाया - "हमारे पास आठ विशेषताओं से युक्त आम्ल भात पकवाकर भेजे जाएं। आठ विशेषताएं ये हों - भात पकाये जाएं, किन्तु, चावल उपयोग में न लिये जाएं, पकाते समय जल न डाला जाए, उन्हें बर्तन में तैयार न किया जाए, उनका परिपाक न चूल्हे पर हो, न अग्नि द्वारा हो, न ईंधन द्वारा हो, न महिला द्वारा पकाए जाएं, न पुरुष द्वारा, पकाने के बाद जब वे लाये जाएं तो किसी रास्ते से न लाये जाएं ।"
[ खण्ड :
गाँववासी ग्रह बात नहीं समझ सके । इसकी पूर्ति करना उन्हें असंभव प्रतीत हुआ । उन्होंने महौषध पण्डित के समक्ष यह समस्या रखी ।
महौषध पण्डित ब्रोला - "चिन्ता मत करो, इसका समाधान में बता रहा हूँ । चावल नहीं का अभिप्राय चावल की कणिकाएँ हों, पानी उपयोग में न लेने का तात्पर्य बर्फ का उपयोग लेने से है, बर्तन काम में न लेने का अर्थ मिट्टी की हांडी काम में लेने से है, चूल्हा नहीं का अर्थ मोटे काठके ठूंठ को खुदवाकर चूल्हे की ज्यों बनवा लेने से है, अग्नि का प्रयोग न करने का अर्थ स्वाभाविक अग्नि के स्थान पर अरणि से उत्पादित अग्नि प्रयोग में लेने से है । ईंधन नहीं लेने का आशय ईंधन के स्थान पर पत्ते मंगवाकर उपयोग में लेने से है, किसी स्त्री या पुरुष द्वारा भात न पकाये जाने का आशय नपुंसक द्वारा पकाये जाने से है | इस विधि से भात पकवाओ । उन्हें नये वर्तन में डालो, बर्तन का मुंह बन्द करो । उस पर मुहर छाप लगवाओ । रास्ते से न ले जाये जाने का तात्पर्य पगडंडी से ले जाये जाने का है ।"
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गाँववासियों ने महौषध पण्डित द्वारा बताई गई पद्धति के अनुरूप सब किया और उन्होंने नपुंसक के हाथ पगडंडी द्वारा भात का बर्तन राजा के पास भिजवाया । राजा ने पूछा - "आठों विशेषताओं की पूर्ति किस प्रकार की ? तब उसे सारा विधि क्रम बतलाया गया । राजा मे पुनः पूछा - "यह पद्धति गाँव वासियों को किससे ज्ञात हुई ?"
बतलाया गया कि महौषध पण्डित से ।
राजा यह सुनकर प्रसन्न हुआ । राजा ने सेनक पण्डित को बुलाया, यह बात कही, पूछा - " क्या महौषघ पण्डित को बुलवालें ?"
सेनक बोला- “अभी और परीक्षाएँ बाकी हैं।"
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बालू की रस्सी
राजा ने महौषध पण्डित की परीक्षा के लिए एक बार अपने आदेश के साथ राजपुरुषों को प्राचीन यवमज्झक ग्रामवासियों के पास भेजा । राजपुरुषों ने राजा के आदेश के अनुसार ग्रामवासियों को कहा- "राजा हिडोले में भूलना चाहता है । राजकुल की पुरातन बालू की रस्सी जीर्ण शीर्ण हो गई है। बालू की नई रस्सी बंटकर आप लोग राजा के यहाँ भिजवाएं | यदि न भिजवा सके तो एक सहस्र का दण्ड देय होगा ।"
गांववासी नहीं समझ सके कि वे क्या करें ? उन्होंने सारी बात महौषध पण्डित से
कही ।
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