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तत्त्व : आचार : कथानुयोग ] कथानुयोग-चतुर रोहक : महा उम्मग्ग जातक २४१
गाँववासियों ने बतलाया कि यह महौषध पण्डित के मस्तिष्क की उपज है।
राजा यह जानकर परितुष्ट हुआ । उसने सेनक पण्डित को बुलाया । उससे सारी बात कही और पूछा-"क्या महौषध पण्डित को बुला लिया जाए ?
सेनक बोला-"अभी कुछ रुकिए, और परीक्षा लेंगे।"
मंगल-वृषम के गर्भ
. राजा ने अपने मंगल-वृषभ को कई महीनों तक खूब खिलाया-पिलाया। उससे वह बहुत पुष्ट हो गया, मोटा हो गया। उसका पेट बड़ा हो गया। उसके सींग धुलवाये । उनके तेल लगवाया । उसे हल्दी से स्नान करवाया। ऐसा कर उसे प्राचीन यवमझक गाँव के लोगों के पास भेजा, उन्हें कहलवाया-"तुम लोग विज्ञ हो, मंगल-वृषभ के गर्भ रह गया है। इसे प्रसव करवाकर बछड़े के साथ वापस भिजवाओ। ऐसा नहीं कर सके तो एक सहस्र का दण्ड भुगतान होगा।"
यह सुनकर ग्रामवासी स्तब्ध रह गये-बैल के प्रसव हो, यह कभी संभव है ? ग्रामवासियों ने महौषध पण्डित से कहा-"राजा जो चाहता है, हम नहीं कर सकते। यह होने जैसी बात ही नहीं है । क्या किया जाए ?"
: महौषध पण्डित ने विचार किया, राजा ने जो चाहा है, वह वास्तव में एक असंभव । बात है। उसे उसी प्रकार का प्रत्युत्तर देना होगा, जिससे वह स्वयं समाधान पा जाए। यह सोचकर उसने गांववालों से कहा-"मुझे एक ऐसा मनुष्य चाहिए, जो निपुण हो, राजा के साथ वार्तालाप करने में सक्षम हो । क्या कोई ऐसा मनुष्य मिल सकता है ?"
लोगों ने कहा-"पण्डित ! यह कोई कठिन बात नहीं है। ऐसा आदमी मिल सकता है।" इस पर पण्डित ने कहा-"तो उसे बुलवाओ।" उन्होंने एक वैसे आदमी को बुलवाया।
महौषध पण्डित ने उस आदमी से कहा-'मेरे समीप आओ, जैसा मैं कहता हूँ, उसे समझो।" वह पण्डित के पास आ गया।
पण्डित ने कहा- 'तुम अपने केशों को बिखेर कर फैला लो, तरह-तरह से विलाप करते हुए राजा के द्वार पर जाओ। दूसरे लोग जब तुम्हें विलाप का कारण पूछे तो कुछ मत बोलना, केवल रोते रहना । राजा बुलाये और क्रन्दन का कारण पूछे तो कहना-“राजन् ! मेरे पिता के प्रसव नहीं हो रहा है. सात दिन हो गये हैं. मेरी मदद करें तथा का ऐसा उपाय बताएँ, जिससे मेरे पिता प्रसव कर सकें।"
जब राजा कहे कि तुम क्या बकवास कर रहे हो, क्या कभी यह संभव है कि पुरुष प्रसव करे । इस पर तुम कहना-"राजन् ! जो आप कह रहे हैं, यदि वह सच है तो फिर आप ही सोचिए, प्राचीन यवमझक ग्रामवासी बैल को कैसे प्रसव कराएं।" ..। वह. मनुष्य राजा के यहाँ गया। सब वैसा ही नाटक किया, जैसा महौषध पण्डित ने बतलाया था। ....... राजा ने उससे पूछा कि ऐसा उत्तर देना तुमको किसने बतलाया? - उस मनुष्य ने कहा- "महौषध पण्डित ने मुझे यह सब बतलाया।"
यह सुनकर राजा हर्षित हुआ, सेनक पण्डित को बुलाया, सारा प्रसंग सुनाया तथा पूछा-"क्या महौषध पण्डित को यहाँ बुलवा लें?"
सेनक ने कहा-"नहीं, अभी और परीक्षा करेंगे।"
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