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आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[खण्ड
:३
जड़ की ओर का भाग कौन-सा है तथा सिरे की ओर का भाग कौन-सा है ? यदि यह पता नहीं लगा सके तो एक सहस्र मुद्राएँ दण्ड के रूप में देनी होंगी।"
ग्रामवासी एकत्र हुए। प्रस्तुत प्रसंग पर उन्होने चिन्तन किया, विचार किया। उन्हें वैसा कोई उपाय नहीं भूझा, जिससे वे उस लकड़ी के जड़ की ओर का भाग कौन-सा है, सिरे की ओर का भाग कौन-सा है, का पता लगा सकें। जब उन्होंने देखा कि वे किसी भी प्रकार राजा को प्रश्न का समाधान नहीं दे सकेंगे तो उन्होंने श्रीवर्धन सेठ से कहा--- “आज महौषध पण्डित को बुलाकर इस सम्बन्ध में पूछे। शायद वह कोई उपाय निकाल सके।"
महौषध उस समय क्रीड़ा-मण्डल में गया हुआ था। सेठ ने उसे वहाँ से बुलवाया। वह वहाँ उपस्थित हआ। उसे सेठ ने सब बात बतलाई और कहा-"बेटा ! इस लकडी के जड के भाग तथा सिरे के भाग के सम्बन्ध में हम कछ भी पता नहीं लगा सके। क्या त यह बता सकेगा ?"
महौषध पण्डित ने जब यह सुना तो मन-ही-मन विचार किया-राजा को इस लकड़ी के सिरे या जड़ से कोई प्रयोजन नहीं है । वह तो मेरी परीक्षा लेना चाहता है। इसीलिए उसने यह लकड़ी का टुकड़ा भेजा है। यह विचार कर उसने कहा—'तात् ! वह लकड़ी का टुकड़ा लाएं, मैं बता दूंगा।"
लकड़ी का टुकड़ा महौषध को दिया। उसने हाथ में लेते ही ज्ञात कर लिया कि सिरे का भाग कौन-सा है तथा जड़ का भाग कौन-सा है । यद्यपि उसने मन-ही-मन यथार्थ स्थिति का अंकन कर लिया था, पर लोगों को विश्वास दिलाने के लिए उसने पानी से भरी हुई एक थाली मंगवाई । खदिर की लकड़ी के टुकड़े को ठीक बीच में सूत से बांधा। सूत के किनारे को हाथ में पकड़ा। लकड़ी के टुकड़े को जल के स्तर पर टिकाया। जड़ की ओर का भाग भारी होता है, इसलिए वह जल में पहले डूबता है। इस लड़की का भी एक ओर का भाग पहले डूबा तथा दूसरी ओर का भाग बाद में डूबा । महौषध पण्डित ने लोगों से पूछा"पेड़ की जड़ भारी होती है या सिरा?" ।
लोग बोले-“पण्डित ! जड़ भारी होती है।"
महौषध ने कहा- "इस लकड़ी का जिस ओर का किनारा पहले डूबा, वही जड़ का ओर का भाग है, दूसरी ओर का किनारा, जो बाद में डूबा, सिरे का भाग है।"
इस प्रकार महौषध कुमार ने अपनी प्रखर प्रतिभा द्वारा जड़ और सिरा स्पष्ट बता दिया।
ग्रामवासियों ने वह लकड़ी का टुकड़ा राजा के पास भिजवा दिया और यह भा कहलवा दिया कि उसका अमुक भाग जड़ की ओर का तथा अमुक माग सिरे की ओर का
राजा यह सुनकर हर्षित हुआ। उसने पूछवाया—"इस लकड़ी के जड़ की ओर के तथा सिरे की ओर के भाग का पता किसने लगाया?"
ग्रामवासियों की ओर से उत्तर मिला-"श्रीवर्धन सेठ के पुत्र महौषध पण्डित ने पता किया, बताया।"
राजा ने सेनक पण्डित को बुलाया तथा उससे पूछा--"क्या महौषध पण्डित का
बुला लें ?"
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