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२२८ आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[खड : ३ को ज्ञात हुआ कि बाज ने मांस के टुकड़े को छोड़ दिया है तो उसने उसे जमीन पर नहीं गिरने दिया। अपने प्रभाव से आकाश में ही रोक दिया। लोगों ने जब यह आश्चर्यजनक घटना देखी तो वे तालियां पीटने लगे और शोर करने लगे।
अमात्य ने राजा के पास उस घटना का सन्देश भेजा कि महौषध पण्डित ने बाज से इस प्रकार मांस का टुकड़ा छुड़ा लिया तथा अपने प्रभाव से उसे आकाश में अधर रोक दिया, इस पर विचार करें।
राजा ने यह सन्देश सुना, सेनक पण्डित को बुलाया । उसको वह वृत्तान्त कहा, जो सन्देश द्वारा राजा को प्राप्त हुआ था। राजा ने उससे पूछा-'सेनक ! क्या महौषध पण्डित को बुलवाएँ ?"
सेनक मन-ही-मन सोचने लगा-महौषध पण्डित के यहां आने पर हम चारों पण्डित निस्तेज हो जायेंगे । हम इतने गौण हो जायेंगे कि राजा को यह भी ध्यान नहीं रहेगा कि हम उसके यहाँ हैं मी या नहीं; इसलिए अच्छा यही है, उसे आने न दिया जाए । सेनक के मन में महौषध के प्रति ईर्ष्या थी; अतः उसने कहा-"राजन् ! इतनी-सी बात से कोई पण्डित नहीं हो जाता । यह तो बहुत साधरण घटना है।"
सेनक से यह सुनकर राजा ने उपेक्षा से अपने अमात्य को प्राचीन यवमझक यह सन्देश संप्रेषित किया कि महौषध पण्डित की वहीं परीक्षा करो। बल का विवाद
प्राचीन यवमझक गाँव में रहने वाला एक मनुष्य वर्षा होने पर हल जोतने के उद्देश्य से बैल खरीद कर लाया। उसने रात भर बैलों को अपने घर में रखा । दूसरे दिन वह उन्हें चराने के लिए घास के मैदान में ले गया। बैल की पीठ पर बैठ-बैठे वह परिश्रान्त हो गया। नीचे उतरा । पास ही एक सघन वृक्ष था। उसकी छाया में जा बैठा । थका हुआ तो था ही, बैठे-बैठे उसे निद्रा आ गई । बैल हरी-हरी घास चरने लगे। उसी समय एक चोर आया और बैलों को भगा ले गया। बैल के मालिक की जब आंख खुली तो बैल दृष्टिगोचर नहीं हए। उसने इधर-उधर खोज की तो उसे वह आदमी दिखाई दिया, जो बैलों को ले भागा था। उसने दौड़कर उसे पकड़ लिया और कहा-"तु मेरे इन बैलों को कहाँ लिये जा रहा है ?"
वह आदमी बोला- ये बैल मेरे हैं, जहाँ चाहता है, लिये जा रहा हैं।"
विवाद बढ़ गया। बैलों को दोनों अपने-अपने बता रहे थे। लोगों ने जब यह कोलाहल सुना, वे वहां एकत्र हो गये। लड़ते-झगड़ते वे दोनों महौषध पण्डित की शाला के दरवाजे के पास से गुजर रहे थे। महौषध पण्डित ने उनकी आवाज सुनी, उन्हें अपने पास बुलाया। उनका कथोपकथन, व्यवहार आदि देखते ही पण्डित यह भांप गया कि कौन बैलों का मालिक है और कौन चोर है।
सबके समक्ष सचाई प्रकट करने हेतु महौषध पण्डित ने कहा-"तुम दोनों क्यों लड़ रहे हो?"
बैलों के मालिक ने बताया कि वह अमुक ग्राम से, अमुक व्यक्ति से बैल खरीदकर लाया, रात भर उनको अपने घर में रखा। दूसरे दिन घास के मैदान में उन्हें चराने ले गया। मैं थका था, विश्राम हेतु एक सघन वृक्ष के नीचे उसकी गहरी छाया में बैठा । बैठते
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