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तत्त्व : आचार : कथानुयोग ] श्रेणिक द्वारा चाण्डाल से विद्या-ग्रहण : छबक जातक २०५
वृक्ष को काटना चाहते हैं । मैं अपनी दिव्य-शक्ति द्वारा एक ऐसा महल बना दूंगा, जिसमें सब ऋतुओं में फलने वाले वृक्ष होंगे, सुन्दर वन-खंड होंगे, जिसके चारों ओर परकोटा होगा । मेरे आवासीय पुरातन वृक्ष को न काटा जाए।"
अभयकुमार ने व्यन्तर देव का अनुरोध मान लिया । देव ने अपनी दिव्य-शक्ति के प्रभाव से महल बना दिया।
प्रासाद बड़ा भव्य, मनोहर तथा आकर्षक था। प्रहरी एवं आरक्षि-जन रात-दिन उसकी रक्षा करते थे।
चाण्डालिनी का दोहद
एक बार का प्रसंग है, एक चाण्डालिनी के, जो गर्भवती थी, असमय में आम खाने का दोहद हुआ। उसने अपने पति से कहा- "मुझे आम ला दो। मैं आम खाऊंगी।" पति बोला-"प्रिये ! यह आम फलने का मौसम नहीं है।" पत्नी रोने लगी और बोली-"आम फलने, न फलने के सम्बन्ध में मैं कुछ नहीं जानती। पता लगाओ, जहाँ भी मिल सके, वहाँ से लाओ।"
अवनामिनी, उन्नामिनी विधाएँ
चाण्डाल ने पता लगाया। उसे ज्ञात हुआ, राजा के महल के बगीचे में सब ऋतुओं में फलने वाले आम के वृक्ष हैं। वह बगीचे में गया। उसे अवना मिनी तथा उन्नामिनी नामक दो विशिष्ट विद्याओं का ज्ञान था। अवनामिनी विद्या की यह विशेषता थी, उसके द्वारा किसी भी वस्तु को नीचे झुकाया जा सकता था। चाण्डाल ने अवनामिनी विद्या के प्रयोग द्वारा आम के पेड़ को नीचे झुका लिया, यथेष्ट फल तोड़ लिये। उन्नामिनी विद्या की यह विशेषता थी, उसके द्वारा किसी भी वस्तु को ऊपर किया जा सकता था। चाण्डाल ने आम तोड़ लेने के बाद वृक्ष को यथावत् ऊपर कर दिया तथा अपने घर लौट आया। पत्नी को आम दिये । वह खाकर परितुष्ट हुई। आमों की चोरी : राजा को चिन्ता
___ आमों की चोरी का प्रसंग राजा के सम्मुख उपस्थित हुआ। राजा को बड़ा अचरज हुआ, इतने सारे प्रहरियों तथा आरक्षि-जनों के पहरे के बावजूद यह कैसे घटित हो गया। जिस मनुष्य में इतना सामर्थ्य है कि इतनी भारी सुरक्षा के होते हुए भी जो इस प्रकार चोरी कर सके, वह कभी मेरे रनवास को भी लूट सकता है। राजा ने अभयकुमार को बुलाया, इस दुर्घटित घटना पर बड़ी चिन्ता व्यक्त की और चाहा कि किसी भी तरह इसका पता लगाया जाए।
अभयकुमार द्वारा खोज
अभयकुमार ने जब राजा को चिन्तातुर देखा तो उसने आत्मविश्वास के साथ कहा--'मैं आपकी आज्ञा का अविलम्ब पालन करूंगा, चोर का पता लगाकर छोड़गा। यदि सात रात के भीतर चोर को नहीं पकड़ सका तो अपने जीवन का अन्त कर दूंगा।"
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