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आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[खण्ड : ३ अवाञ्छित विषयों से सम्बद्ध संकल्प-विचार, विकल्प उनके नियंत्रण में हैं ? क्या वे संयतचेता हैं ?"
सातागिरि ने कहा- "उनका मन समाधियुक्त है। सब प्राणियों के प्रति वे समान भाव लिये हैं। किसी के प्रति उनमें हिंसा भाव-शत्रुभाव नहीं है। वाञ्छित, अवाञ्छित विषयों से सम्बद्ध विचार, विकल्प उनके वशगत हैं । वे संयतचेता हैं ।"२
हेमवत-"क्या वे अदत्त नहीं दी हुई वस्तु का आदान-ग्रहण नहीं करते ? चोरी नहीं करते ? क्या वे प्राणियों प्रति संयमशील हैं ? क्या वे प्रमाद से अतीत हैं ? क्या वे ध्यान से रिक्त-रहित नहीं हैं ?"3
___ सातागिरि-"वे नहीं दी हुई वस्तु कभी ग्रहण नहीं करते-चोरी नहीं करते । वे प्राणियों के प्रति संयमशील हैं। वे प्रमाद से अतीत हैं। वे ध्यान से रिक्त -रहित नहीं हैं ?"४
हेमवत-"क्या वे असत्य भाषण नहीं करते ?क्या वे कठोर वचन प्रयोग नहीं करते? क्या वे आपत्तिजनक बात नहीं कहते ? क्या वृथा बकवास नहीं करते?"५ १. कच्चि मनो सुपणिहितो,
सव्वभूतेसु तादि नो। कच्चि इठे अनिठे च संकप्पस्स वसीकता।।
-सुत्तनिपात ६, हेमवत सुत्त २ २. मनो चस्स सुपणिहितो,
सव्वभूतेसु तादिनो। अथो इठे अनिठे च, संकप्पस्म वसीकता।।
-सुत्तनिपात ६, हेमवत सुत्त ३ ३. कच्चि अदिन्नं नादियति,
कच्चि पाणेसु सञतो। कच्चि आरा पमादम्हा, कच्चि झानं न रिञ्चति ।।
-सुत्तनिपात ६, हेमवत सुत्त ४ ४. न सो आदिन्नं आदियति, अथो पाणेसु सञतो। अथो आरा पमादम्हा, बुद्धो झानं न रिञ्चति ।।
-सुत्तनिपात ६, हेमवत सुत्त ५ ५. कच्चि मुसा न भणति, कच्चि न खीणव्यप्पथो। कच्चि वेभूतियं नाह, कच्चि सम्फ न भासति ॥
-सुत्तनिपात ६, हैमवत सुत्त ६
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