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भाषा और साहित्य ]
विश्व भाषा प्रवाह
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देहाती बच्चे मोटर को 'पों-पों,' मोटर साइकिल को 'फटफटिया' कहते सुने जाते हैं । भोंपू भी इसी प्रकार का उदाहरण है, जिसका आधार ध्वनि ही है । अंग्रेजी का Cuckoo शब्द इसी प्रकार का है । निरुक्तकार यास्क ने 'काक' की व्याख्या में काक 'इति शब्दानुकृति: ( अर्थात् जो का का करता है, वह काक है ), जो उल्लेख किया है, वह इसी तथ्य को समर्थित करता है । इस सन्दर्भ में संस्कृत के अग्रांकित शब्द विशेष विमर्षणीय हैं । ऐसा अनुमान किया जा सकता है, सम्भवतः ये अथवा इनमें से अधिकांश शब्द ध्वनि या आवाज के आधार पर बने हैं : घूक, खंजन, खंजरीट, कंक, त्रृक, कुकुट्ट, चटका, पिक, काक, क्रौंच, कोक, चोरी, झिल्लिका, भीरुका, मयूर, केकी, भृंग ।
कुरर,
कुछ भाषा-वैज्ञानिकों द्वारा इस सिद्धान्त का विरोध हुआ । उनका कहना था कि उपर्युक्त शब्दों का आधार ध्वनियों का अनुकरण होता, तो संसार की सभी भाषाओं में इनके द्योतक शब्द एक जैसे होते; क्योंकि किसी देश-विशेष के पशुओं या पक्षियों की ध्वनि में अन्तर नहीं देखा जाता । तब उन ( ध्वनियों ) की अनुकृति पर बने शब्दों में भेद नहीं होना चाहिए । स्थिति इसके विपरीत है । भिन्न-भिन्न भाषाओं में उपर्युक्त ध्वनियों के आधार पर बने शब्दों में कुछ-न-कुछ भिन्नता है । पर, कुछ गहराई में उतरने पर यह विरोध यथार्थ नहीं लगता । ध्वनियों के अनुकरण में सर्वथा समानता होना कदापि सम्भव नहीं है । देश व जल-वायु का वागिन्द्रिय पर प्रभाव पड़ता है । इससे उच्चारण में भिन्नता आना स्वाभाfar है । ध्वनियों का भी अनुकरण सब सर्वथा एक रूप में कर सकें, यह अस्वाभाविक है । दूसरी बात यह है, अनुकरण अपने आप में कभी पूर्ण नहीं होता; इसलिए न यह सम्भव है और न आवश्यक ही कि निर्मीयमान शब्द ध्वनि के सर्वथा अनुगत हों । ध्वनि का जिसके द्वारा जितना साध्य होता है, उतना अथवा थोड़ा-बहुत अनुकरण रहता है । शब्द - निर्माण में safe का आधार स्थिति के अनुरूप एक सीमा विशेष तक है, सम्पूर्ण नहीं । भाषाविज्ञानविद् स्वीट का भी कहना था कि ध्वनियों के अनुकरण पर बनने वाले शब्द ध्वनि के सर्वथा अनुरूप हों, यह आवश्यक नहीं है ।
* प्रो० मैक्स मूलर को यह सिद्धान्त बड़ा अटपटा लगा । उन्होंने इस पर व्यंग्य कसते हुए इसे Bow- Now Theory के नाम से सम्बोधित किया । अंग्रेजी में Bow-W कुत्ते की आवाज को कहते हैं । कुत्ते के पिल्ले को भी अंग्रेज इसी नाम से पुकारते हैं ।' 'पावा' के पूर्वोत्तरी किनारे पर जो भाषा बोली जाती है, उसमें भी ध्वनि के आधार पर कुत्ते को Bow Jow कहा जाता है । प्रो० मैक्स मूलर ने पावा की तटीय भाषा के इस शब्द के आधार पर उक्त परिहास किया, पर, यह वैसी निष्प्रयोज्य बात नहीं है । इसमें कोई सन्देह नहीं कि विश्व को अधिकांश भाषाओं में अनेक शब्द ऐसे हैं, जो उक्त प्रकार की Perfoयों के आधार पर बने हैं । जो भाषा वैज्ञानिक केवल ध्वनियों की अनुकृति पर बने
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