________________
२४ ] आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[खण्ड : २ सुनी जा सकें, तो उन्हें विश्वास होगा कि वह शैतान की आवाज नहीं है, इन्सान की है। ऐसा ही किया गया। तदनन्तर मित्रवासियों ने टेलीफोन लगाना स्वीकार किया। ___प्लेटो जैसे दार्शनिक और तत्त्व-वेत्ता का भी इस सम्बन्ध में यह अभिमत था कि जगत् में सभी वस्तुओं के जो नाम हैं, वे प्रकृति-दत्त हैं। सारांश यह है कि दूसरे रूप में सही, प्लेटो ने भी भाषा को देवी या प्राकृतिक देन माना; क्योंकि वस्तु और क्रिया के नामों को समन्वित संकलना ही भाषा है।
भाषा के उद्भव के सम्बन्ध में विभिन्न आस्थावादियों के मन्तव्यों से जिज्ञासा और अनुसन्धित्सा-प्रधान लोगों को सन्तोष नहीं हुआ। इस पर अनेक शंकाए उत्पन्न हुई। सबका दावा अपनी-अपनी भाषा की प्राचीनता और ईश्वर या प्रकृति की देन बताने का है । यदि भाषा ईश्वर-दत्त या जन्मजात है, तो देश-काल के आधार पर थोड़ा-बहुत भेद हो सकता है, पर, ससार की भाषाओं में परस्पर जो अत्यन्त भिन्नता दृष्टिगोचर होती है, वह क्यों है ? इस प्रकार के अन्य प्रश्न थे, जिनका समाधान नहीं हो पा रहा था ।
मानव की मूल भाषा : कतिपय प्रयोग अतिविश्वासी जन-समुदाय के मन पर विशेष प्रभाव पड़ा। वे मानने लगे, शिशु जन्म के साथ ही एक भाषा को लेकर आता है। पर, जिस प्रकार के देश, वातावरण, परिवार एवं समाज में वह बड़ा होता है, अनवरत सम्पर्क, सान्निध्य और साहचर्य के कारण वहीं की भाषा को शनैः-शनैः ग्रहण करता जाता है। फलतः उसका संस्कार परिवर्तित हो जाता है और वह अपने देश में प्रचलित भाषा को सहज रूप में बोलने लगता है। स्वभावतः प्राप्त भाषा उसके लिए अव्यक्त या विस्मृत हो जाती है और वह जो कृत्रिम भाषा अपना लेता है, वह उसके लिए स्वाभाधिक हो जाती है।
समय-समय पर उपर्युक्त तथ्य के परीक्षण के लिए कुछ प्रयोग किये गये। ई० पू० पांचवीं शती के प्रसिद्ध लेखक हेरोडोटौस के अनुसार मिस्र के राजा समिटिकोस (Psammitochos) ने इस सन्दर्भ में एक प्रयोग किया। जहां तक इतिहास का साक्ष्य है, भाषा के उद्भव के सम्बन्ध में किये गये प्रयोगों में वह पहला प्रयोग था। स्वाभाविक भाषा या आदि भाषा के रहस्योद्घाटन के साथ-साथ इससे प्राचीन या आदिम मानव-जाति का भेद खुलने की भी आशा थी। इस प्रकार सोचा गया कि बच्चे स्वाभाविक रूप में जो भाषा बोलने लगेंगे, बही विश्व की सबसे प्राचीन मूल भाषा सिद्ध होगी और जिन लोगों की, जिस जाति के लोगों की वह भाषा होगी, निश्चित ही वह विश्व की आदिम जाति मानी जायेगी।
परीक्षण इस प्रकार हमा। दो नवजात बच्चों को लिया गया। उनके पास आने-जाने
Jain Education International 2010_05
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org