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भाषा और साहित्य] शौरसेनी प्राकृत और उसका वाङमय ५६७ ने यापनीय के अर्थ में प्रयुक्त अनेक शब्द सूचित किये हैं। जैसे-यापनीय, जापनीय (यपनी), पापनी, आपनीय, यापुलिय, आपुलिय, जापुलि, जावुलिय, जाविलिय, जावलिय, जावलिगेय। उन्होंने इसकी अर्थ-गवेषणा के प्रयत्न में सम्भावना उपस्थित की है कि स्यात् इसका याम या जाम शब्द से सम्बन्ध हो। तदनुसार इसका पार्व के नजज़्ज़ाय या चतुर्याम धर्म से सम्भवतः कुछ तांता जुड़ सके।
एक और कल्पना
बौद्धों में हीनयाम और महायान के रूप में मुख्यतया दो शाखाएं मानी जाती रही हैं। . उनके नामकरण का इतिहास बड़ा विचित्र है । बौद्ध परम्परा में उस सम्प्रदाय ने, जिसने केवल वैयक्तिक मुक्ति पर ही बल न दे समस्त मानव-समुदाय की मुक्ति, कल्याण और सेवा के लिए महाकरुणा की अवतारणा की, अपने आपको महायान कहा । जो सम्प्रदाय वैयक्तिक निर्वाण पर विशेष जोर देता था, उसे उन्होंने स्वार्थी कह अपने से होन-सुच्छछोटा माना; अतः उन्होंने उसे हीनयान की संज्ञा से अभिहित किया । आगे चलकर उस प्राक्तन शाखा का वही नाम प्रसिद्ध हो गया। कुत्सा के अर्थ में दिया गया नाम, उसके स्वरूप का वाचक हो गया। ___ नाम के सन्दर्भ में यही घटना कहीं यापनियों के साथ न घट गई हो ? यापनीय एक संस्कृत शब्द है, जिसका एक अर्थ हीनता-द्योतक भी है अर्थात् एक व्यक्ति, समुदाय या मत, जो अवहेलना योग्य या बहिष्कार करने योग्य है, उसे यापनीय' कहा जा सकता है। यापनीय नाम से प्रचलित धर्म-सम्प्रदाय जैसा कि विवेचित हुआ है, दिगम्बर एवं
1. Annals of Bhandarkar Oriental Research Institute, vol LV, Poona,
1974, Page, 12. २. संस्कृत में यापनीय और याप्य एक ही अर्थ के सूचक है ।
संस्कृत-हिन्दी-कोश : वामन शिवराम आप्टे, पृ० ८३४; याप्य शब्द के अर्थ-हटाये जाने के योग्य, निकाले जाने के योग्य अथवा अस्वीकार किये जाने के योग्य, नीच, तिरस्करणीय, मामूली, अनावश्यक । Sanskrit-English Dictionary : Sir M. Monier-williams, Page 850. याप्य : To be Caused to go, to be expelled or discharged (as a
witness), gaut, to be removed, or cured (as a disease), trifling, unimportant.
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