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आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन युवजनप्रिय नवयौवन को प्राप्त हुई । उसकी स्वर्ण जैसी देह-कान्ति थी। देवांगनाओं से पढ़कर उसका रूप था। वह कला-निष्णात थी।"
"करहाटाक्ष (करहाटक) नामक एक समृद्ध नगर था। भूपाल नामक वहां का राजा था। वह अप्रतिहत प्रतापशाली था । उसने उल्लासपूर्वक उस राज-कन्या से विवाह किया। अपने पुण्य-फल से वह सब रानियों में प्रधान हो गई। वह बुद्धिशील राजा उसके साथ पुष्कल सांसारिक सुखोपभोग करने लगा।""
"एक दिन अनुकूल अवसर देखकर रानी ने राजा से निवेदन किया--स्वामी ! मेरे पिता के नगर में मेरे महान् गुरु हैं । धर्म-कार्य अभिवृद्धि के लिए उन्हें आमन्त्रित करें।
राजा ने रानी का वचन सुना। अपने बुद्धिसागर नामक मंत्री को तत्काल बुलाया और उसे उन साधुओं को आदरपूर्वक लाने के लिए भेजा। वह गुरुओं के पास पहुंचा। उनके प्रति भक्ति-भाव तथा अतिशय विनय प्रदर्शित किया।
साधुओं को अपने राजा के नगर में चलने की बार-बार अभ्यर्थना कर मंत्री उन्हें ले आया । उनका आगमन सुनकर राजा को बहुत प्रसन्नता हुई।"
१. महाराष्ट्र प्रदेश के अन्तर्गत सतारा जिले के कराढ़ से इसकी पहचान की जाती हैं। २. अध्येष्टाऽनेकशास्त्राणि समीपे स्वगुरोस्तु सा।
कलाकलकनककान्तिः रूपापास्तसुराङ्गना ॥ अवाप तार-तारण्यं तारण्योतनृप्रियम् । अथास्ति करहाटाक्षं द्वगं द्रविणसंभृतम् ।। सच्छास्ताऽवार्यवीर्योऽभूद भूपोभूपालनामभाक् । कन्यां तां कमनीयांगों प्रमोवात्परिणीतवान् । साऽसीत सकलराज्ञीषु मुख्या पुण्यविपाकतः । तयाऽमा विपुलान भोगान भुङ्क्तेऽसौ विपुला मतिः॥
-भद्रबाहुचरित्र परिच्छेद, ४.१३६-३९ ३. अथ यदाऽवसरं प्राप्य राज्या विज्ञापितो नृपः ।
स्वामिनु ! मद्गुरवः सन्ति गुरवोऽस्मत्पितुः पुरे ॥ आनाययतु तान् भक्त्या धर्मकर्माभिवृद्धये । निशम्य तत् वचो भूभृ-वाहुयाऽमात्यमञ्जसा ।
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