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________________ आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन उत्सराध्ययन सूत्र छत्तीस अध्ययनों में विभक्त है। समवायांग सूत्र के छत्तीसवें समवाय में उत्तराध्ययन के छत्तीस अध्ययनों के शीर्षकों का उल्लेख है, जो उत्तराध्ययन में प्राप्त अध्ययनों के नामों से मिलते हैं। उत्तराध्ययन के जीवाजीवविभक्ति संज्ञक छत्तीसवें अध्ययन के अन्त में निम्नांकित शब्दों में इस ओर संकेत है : “भवसिद्धिक जीवों के लिए सम्मत उसराध्ययन के छत्तीस अध्ययन प्रादुर्भूत कर ज्ञातपुत्र, सर्वज्ञ भगवान् महावीर परिनिवृत-मुक्त हो गये ।"] उत्तराध्ययन के नाम-सम्बन्धी विश्लेषण के प्रसंग में यह विषय चचित हुआ ही है कि भगवान् महावीर ने अपने अन्त समय में इन छत्तीस अध्ययनों का आख्यान किया। নিথুকাৰ ৷া অপশন नियुक्तिकार आचार्य भद्रबाहु का अभिमत उपयुक्त पारम्परिक मान्यता के प्रतिकूल है। उन्होने इस सम्बन्ध में नियुक्ति में लिखा है : "उत्तराध्ययन के कुछ अध्ययन अंगप्रभव हैं, कुछ जिन-भाषित हैं, कुछ प्रत्येक बुद्धों द्वारा निर्देशित हैं, कुछ संवाद-प्रसूत हैं । इस प्रकार बन्धन से छूटने का मार्ग बताने के हेतु उसके छत्तीस अध्ययन निर्मित हुए।" चूरिणकार जिनदास महत्तर और वृहद्वृत्तिकार वादिवेताल शान्ति सूरि ने नियूंक्तिकार के मत को स्वीकार किया है। उनके अनुसार उत्तराध्ययन के दूसरे परिषहाध्ययन की रचना द्वादशांगी के बारहवें अंग दृष्टिवाद के कर्मप्रवादसंज्ञक पूर्व के ७०वें प्राभृत के आधार पर हुई है। अष्टम कापिलीय अध्ययन कपिल नामक प्रत्येक बुद्ध द्वारा प्रतिपादित है । दशवां द्र मपुष्पिका अध्ययन स्वयं अर्हत् महावीर द्वारा भाषित है। तेईसवां केशिगौतमीय अध्ययन संवादरूप में आकलित है। १. इह पाउकरे बुद्ध, णायए परिणव्वुए। छत्तीसं उत्तरज्झाए, भवसिद्धिय सम्मए । २. जैन-परम्परा में ऐसा माना जाता है कि दीपावली को अन्तिम रात्रि में भगवान ____ महावीर ने इन छत्तीस अध्ययनों का निरूपण किया। ३. अंगप्पभवा जिणभासिया य पत्ते यबुखसंवाया। . . .. बं मुक्खे ये कया, छत्तीसं उत्तरायणा ॥ -नियुक्ति, गाया ४ ___Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002622
Book TitleAgam aur Tripitak Ek Anushilan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagrajmuni
PublisherArhat Prakashan
Publication Year1982
Total Pages740
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Literature
File Size14 MB
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