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३०८] आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[खण्डः २ संस्कृत-लेखन के लिए अनुपयुक्त
खरोष्ठी संस्कृत भाषा के लिखे जाने के लिए उपयुक्त नहीं है। संस्कृत में संयुक्ताक्षर बहुत आते हैं । सन्धि-नियमों के अनुसरण के कारण उनकी संख्या और बढ़ जाती है । उन्हें व्यक्त करने में खरोष्ठी सक्षम नहीं है । यही कारण है कि संस्कृत-ग्रन्थ इसमें बिलकुल नहीं लिखे गये।
तीसरी शताब्दी के अनन्तर खरोष्ठी का कोई अभिलेख नहीं मिलता। अर्थात् पश्चिम एशिया के विजेताओका शासन समाप्त होने के अनन्तर क्रमश: खरोष्ठी का प्रयोग अवरुद्ध होता गया । तब तक (तीसरी शताब्दी तक ) ब्राह्मी की भी वैसी ही स्थिति हो गयी थी। पर, उससे अभिनव लिपियां उद्भूत होने लगी थीं और वे क्रमशः उसका स्थान लेने लगो थीं। खरोष्ठी के साथ ऐसा नहीं था । वैसी स्थिति में अपने क्षेत्र में उसका प्रयोग चालु रहना चाहिए था, यदि वह मूलत: भारतीय लिपि होती।
एक महत्वपूर्ण पहलू और है । संस्कृत लिखे जाने के लिए खरोष्ठी योग्य नहीं थी। यहां यह विचारणीय है कि मूलत: जो भारतीय लिपि हो और संस्कृत भाषा उसमें न लिखी जा सके, यह कैसे हो सकता है ? लिपि का सर्जन भाषा को मूर्त रूप देने के लिए होता है । यदि खरोष्ठी मूलतः भारतीय लिपि होतो, तो उसका प्रारम्भ से ही इस प्रकार का गठन होता कि भारत की प्रमुख भाषा संस्कृत के लिये वह व्यवहार्य हो सके। ऐसा नही होने से यह सिद्ध होता है कि इसका उद्गम किसो वैदेशिक स्रोत से है और मेइक से इसको सम्भावना है।
ब्राह्मण-धर्म से सम्बद्ध कोई भी ग्रन्थ इस भाषा में नहीं लिखा गया। संस्कृत में ग्रन्थ न लिखा जाना समझ में आता है; क्योंकि उसमें तदनुरूप क्षमता नहीं थी। पर, ब्राह्मण-धर्म के किसी भी ग्रन्थ के इसमें लिपि-बद्ध न किए जाने के पीछे एक और हेतु भी हो सकता है। सम्भवतः खरोष्ठी के वैदेशिक स्रोत के कारण, उसे अपवित्र मानते हुये ब्राह्मण विद्वानों का ऐसा प्रयत्न रहा हो कि उनके धर्म का कोई भी ग्रन्थ उसमें न लिखा जाये । जैनों और बौद्धों के लिये पैसा नहीं था, क्योंकि उनका दृष्टिकोण भिन्न था।
जैसा भी रहा हो, ब्राह्मणों द्वारा इसके सर्वथा न अपनाये जाने से यह अनुमान लगाना स्वाभाविक है कि इसमें जुड़ा हुआ कोई कारण अवश्य था, जिससे इसकी पवित्रता बाधित यो और वह कारण इसकी वैदेशिकता के अतिरिक्त दूसरा नहीं हो सकता । . समवायांग सूत्र में लिपियों के अठारह नामों में पहला ब्राह्मी का, दूसरा यावनी का तथा चोथा खरोटिका या खरोष्ठी का है । यह स्पष्ट है कि यहां यावनो लिपि से यूनान देश की
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