SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 33
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विषयानुक्रम ३६४ ३६४ ३६५ ३६५ ३६७ ३६७ ३७० ३७१ ३७१ ३७१ ३७२ ३७२ ३७२ पूर्व-ज्ञान की परम्परा द्वादशांगी से पूर्व पूर्व-रचना दृष्टिवाद में पूर्वो का समावेश स्त्रियों के लिए दृष्टिवाद का वर्जन नारी और दृष्टिवाद : एक और चिन्तन पूर्व-रचना : काल-तारतम्य पूर्व-वाङमय की भाषा पूर्वगत : एक परिचय चूलिकाएं चूलिकाओं की संख्या वस्तु-वाङमय वस्तुओं की संख्या आर्य जम्बू के बाद श्रुत-परम्परा आर्य प्रभव पार्य प्रभव का आचार्य-काल आर्य शय्यम्भव पूओं के आधार पर रचना प्राचार्य-काल आर्य यशोभद्र नन्दराजाओं को प्रतिबोध प्राचार्य-काल आर्य यशोभद्र के पश्चात् दो उत्तराधिकारी : एक नवीन परम्परा आर्य सम्भूतिविजय महान् प्रभावक आचार्य भद्रबाहु वराहमिहिर से सम्बन्ध छेद-सूत्रों के रचनाकार परिशिष्ट पर्व भद्रबाहु और चन्द्रगुप्त का सम्बन्ध आगमों की प्रथम वाचना ३७३ ३७४ ३७४ ३७४ ३७५ ३७५ ३७६ ३७७ ३७७ ३७७ ३७७ ३७० ३७८ ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002622
Book TitleAgam aur Tripitak Ek Anushilan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagrajmuni
PublisherArhat Prakashan
Publication Year1982
Total Pages740
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Literature
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy