SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 32
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३० विषयानुक्रम ३३४ ३३५ ३३५ ३३७ w w اس W لله ३४० ३४२ ३४४ ३४४ ३ घोर ब्रह्मचर्यवासी केवली और पट्टधर निर्वाण उपसंहार आर्य जम्बू परम जिज्ञासु प्रश्नोत्तर-क्रम प्रश्न-क्रम का एक अन्य रूप जम्बू के सम्बन्ध में उल्लेख वसुदेव-हिंडी माता, पिता, जन्म, निवास आर्य सुधर्मा से सम्पर्क भाव जागृति माता-पिता से निवेदन विवाह सम्पन्न तस्करराज प्रभव : प्रागमन जम्बू और प्रभव : सम्वाद आर्य जम्बू : काल-क्रम एक और कल्पना वीर कवि का अभिमत आर्य जम्बू का निर्वाण जम्बू के अनन्तर कतिपय विच्छेद तिलोयपण्णत्ती का एक विवेच्य प्रसंग श्रुत : कण्ठाग्र : अपरिवर्त्य श्रुत का उद्भव एक प्रश्न : एक समाधान पुष्पमाला की तरह सूत्रमाला का ग्रथन अर्थ की अनभिलाप्यता मातृका-पद पूर्वात्मक ज्ञान और द्वादशांग ३४५ ३४६ ३४७ ३४९ ३४९ ३५० mr ३५१ ३५१ ३५१ ३५३ ३५३ ३५४ ३५८ m ३६१ ३६३ ३६३ ३६४ ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002622
Book TitleAgam aur Tripitak Ek Anushilan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagrajmuni
PublisherArhat Prakashan
Publication Year1982
Total Pages740
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Literature
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy