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१४६ ] आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[खण्ड : २ ऐसा अनुमान है कि आदिवासियों की विभिन्न जातियों को उन्होंने संगठित किया हो । महाभारतकार उन भिन्न-भिन्न जातियों के लोगों का विस्तृत वर्णन कर देने के बाद उन्हें देश-भाषाओं में कुशल बतलाते हैं । ___आर्थों और अनार्यों के पारस्परिक सम्पर्क तथा साहचर्य से प्रादेशिक भाषाओं ने एक विशेष रूप लिया हो । सम्भवतः उन्हें ही यहां देश-भाषा से संजित किया गया हो ।
पं० हरगोविन्ददास टी० सेठ द्रविड़-परिवार तथा आग्नेय-परिवार की तमिल, कन्नड़, मुण्डा आदि भाषाओं से देशी शब्दों के आने पर सन्देह करते हैं । उनके कथन का अभिप्राय है कि ऐसा तभी स्वीकार्य होता, यदि अनार्य भाषाओं में भी इन देशी शब्दों तथा धातुओं का प्रयोग प्राप्त होता । सम्भवतः ऐसा नहीं है। ___ इस सम्बन्ध में एक बात और सोचने की है कि ये देशी शब्द अनार्य भाषाओं से ज्यों-केत्यों प्रादेशिक ( मुख्यतः मध्यदेश के चतुःपाश्र्ववर्ती ) प्राकृतों में आ गये, ऐसा न मान कर यदि इस प्रकार माना जाए कि अनार्य भाषाओं तथा उन विभिन्न प्रादेशिक प्राकृतों के सम्पर्क से कुछ ऐसे नये शब्द निष्पन्न हो गये, जिनका कलेवर सम्पूर्णत: न अनार्य-भाषाओं पर माधृत था और न प्राकृतों पर हो। उन देशी शब्दों के ध्वन्यात्मक, संघटनात्मक स्वरूप के विषय में निश्चत रूप में कुछ नहीं कहा जा सकता । देशी शब्दों, देश-भाषाओं या देशी भाषाओं के परिपाश्वं में इतने विस्तार में जाने का एक ही अभिप्राय था कि प्राकृत के उद्भव और विकास पर कुछ और प्रकाश पड़े; क्योंकि यह विषय आज भी सन्दिग्धता की कोटि से मुक्त नहीं हुआ है। वैदिक संस्कृत तथा प्राकृत का सादृश्य
प्राकृतों अर्थात् साहित्यिक प्राकृतों का विकास बोलचाल की जन-भाषाओं, दूसरे शब्दों में असाहित्यिक प्राकृतों से हुआ, ठीक वैसे ही जैसे वैदिक भाषा या छन्दस का । यही कारण है कि वैदिक संस्कृत और प्राकृत में कुछ ऐसा सादृश्य, खोज करने पर प्राप्त होता है, जैसा प्राकृत और लौकिक संस्कृत में नहीं है। उदाहरणार्थ, संस्कृत ऋकार के बदले प्राकृत में अकार', आकार', इकार' तथा उकार होता है। ऋकार के स्थान में उकार की प्रवृत्ति
१. ऋतोत् ॥८।१।१२६
आदेकारस्य अत्वं भवति। -सिद्धहैमशब्दानुशासनम् २. आत्कृशा-मृदुक मृदुत्वे वा ॥८।१।१२७
एषु आदेत आद वा भवति। -वही इत्कृपादौ ॥८।१ । १२८
कृपा इत्यादिषु शब्देषु आदेऋत इत्वं भवति। --वही ४. उद्दत्वादौ ॥८।१।१३२ ऋतु इत्यादिषु शब्देषु आदेत उद्भवति। -वही
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