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आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन [ खण्ड : २ कवयित्रो लल्ला की रचना का लन्दन से प्रकाशन किया। काश्मीरी का साहित्य आगे और विकसित होता गया। फलतः इस समय इस भाषा का साहित्य बहुत समृद्ध और समुन्नत है। काश्मीरी भाषा को कई उपभाषाए बोलियां हैं। कुछ बोलियों का क्षेत्र पंजाब का निकटवर्ती भू-भाग है; अतः उनमें पंजाबी का मिश्रण जैसा हो गया है। परिणामस्वरूप उनका वास्तविक रूप नहीं रह पाया है, कुछ विचित्र-सा रूप बन गया है । काश्मीर में डई ___ काश्मीर में इस समय बोलचाल में उर्दू का अधिक प्रयोग होता है। काश्मीरी भाषा उसकी तुलना में उपेक्षित जैसी लगती है। बादशाह अकबर ने जब काश्मीर को मुगलसाम्राज्य में मिला लिया, सम्भवतः तब से वहां उर्दू का सूत्रपात हुआ होगा। तब तक काश्मीरी भाषा का ही अधिक प्रचलन था। आगे चलकर उर्दू अधिक प्रसार पाती गयी, काश्मीरी सिमटती गयी। जनता में अब अपनी परम्परा-प्रसूत भाषा के प्रति पुन: आत्मीयता उभर रही है। काश्मीरी ईरानी की दरद शाखा की भाषा होते हुए भी संस्कृत से प्रभावित क्यों है; इसका यही स्पष्ट कारण परिलक्षित होता है।
मानव की सदा से यह कामना रही है कि वह सुख, सुविधा और समृद्धि के साथ जीए। बड़े-बड़े अभियानों, दुःसाहसिक कार्यों और पराक्रमों के पीछे उसकी यही मनोवृत्ति कार्य करती रही है। विरोस्-वीर या आर्य जाति के लोग कभी यूराल पहाड़ के दक्षिण में अर्थात् रूस के दक्षिणी पश्चिमी भाग में बसते थे। उसमें बहुत बड़े-बड़े मैदान हैं। तब तक वहां कृषि का विकास नहीं हो पाया था। ब्रान्देन्ताइन का मत है कि विरोस् सूखी चट्टानों वाली पहाड़ियों पर रहते थे। वहाँ हरे-भरे वन नहीं थे। केवल कुछ गुल्म और बांझ आदि वृक्ष थे। जन-संख्या की वृद्धि, जीवन-निर्वाह के सीमित साधन, आर्यो के लिए उनके बहिय अभियान के प्रेरक सूत्र बने होंगे। वे चल पड़े होंगे, साहस और उमंग के साथ ।
ग्रन्थ के प्रारम्भ में ग्रियर्सन ने विद्वत्तापूर्ण विस्तृत भूमिका दो है, जिसमें उन्होंने भारतीय आर्य भाषाओं का प्रामाणिक इतिहास प्रस्तुत करने का प्रयतन किया है। इस विशाल कार्य के अतिरिक्त भाषाओं के सम्बन्ध में वे और भी महत्वपूर्ण कार्य करते रहे । १९०६ में पिशाच भाषा पर एक ग्रन्थ तथा १९११ में काश्मोरो पर दो भागों में उनका एक ग्रन्थ प्रकाशित हुआ। ये ग्रन्थ बड़े प्रामाणिक माने जाते हैं। उन्होंने काश्मीरी भाषा का एक कोश भी तैयार किया, जो सन् १९२४ में चार भागों में प्रकाशित हुआ। भारत से सहस्रों मील दूर का एक व्यक्ति, वह भो प्रशासनिक अधिकारी भाषामों पर इतना विशाल कार्य करे, निःसन्देह अत्यन्त आश्चर्यजनक होने के साथसाथ विद्वानों के लिए प्रेरक भी है।
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