SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 127
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भाषा और साहित्य ] विश्व भाषा-प्रवाह [ ७७ श्रीकण्ठचरित काव्य के कर्ता मंख ( राजा जयसिंह ११२६-११५० ई० के आश्रित ) आदि कुछ हैं। ___काश्मीर में विभिन्न विषयों पर हजारों संस्कृत ग्रन्थ लिखे गये। सारे प्रदेश में संस्कृत का एक वातावरण रहा है । यद्यपि संस्कृत का प्रसार एवं प्रयोग शिष्ट जन-समुदाय में था, पर, आसपास में रहने वाले जन-साधारण की भाषा पर भी प्रभाव तो होता हो है। संस्कृत-प्रभावित क्षेत्र की भाषा होने के कारण ही सम्भवतः कतिपय भारतीय विद्वानों का झुकाव काश्मीरी को भारतीय भाषा-शाखा में जोड़ने का रहा है । पर, इसकी प्रकृति, रचनाक्रम, ध्वनि-विन्यास आदि का विशेष सम्बन्ध दरद शाखा से अधिक समभवित जान पड़ता है। काश्मीरी में साहित्य-रचना १४ वीं शती से काश्मीरी में साहित्य-रचना का क्रम चालू हुआ, ऐसा प्रतीत होता है। उससे पूर्व काश्मीरी केवल बोलचाल में प्रयुक्त होती थी। साहित्य-सर्जन का माध्यम संस्कृत भाषा थी। राजसमादृत होने से राजकीय कार्यों में संस्कृत का उपयोग होता था । १४ वीं शती में कश्मीरी में लिखने वाली एक सुप्रसिद्ध कवयित्री लल्ला थी। Linguistic Survey of India जैसे विशालकाय महत्वपूर्ण ग्रन्थ के लेखक सर जाजं अब्राहम ग्रियसन ने १. सर जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन बिहार में एक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में आये। भारतीय भाषाओं पर कार्य करने की उनमें रुचि जगी। वर्षों के अनवरत श्रम और लगन से उन्होंने भारत की भिन्न-भिन्न भाषाओं तथा बोलियों का अन्यत्र गम्भीर ज्ञान अर्जित किया। उनके भाषा-सम्बन्धी व्यापक ज्ञान का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि कई सो भाषाओं और बोलियों की उन्हें परिपूर्ण जानकारी थी। उन्होंने अपना कार्य बिहारी भाषाओं के अध्ययन से प्रारम्भ किया। बिहारो भाषाओं के सात व्याकरण लिखे, जो सन् १८८३ से १८८७ तक प्रकाश में आये। भाषाओं के सर्वेक्षण के क्षेत्र में उनका असाधारण कार्य Linguistic Survey of India नामक महत्वपूर्ण कृति है, जिसे उन्होंने सन् १८९४ में प्रारम्भ किया और तैंतीस वर्ष के घोर परिश्रम से सन् १९२७ में वे उसे समाप्त कर सके। यह महान् और विशाल ग्रन्थ बीस खण्डों में प्रकाशित हुआ है। इसमें प्रायः सभी भारतीय भाषाओं और बोलियों का उदाहरण-सहित व्याकरण उपस्थित किया गया है। उन्होंने भारतीय भाषाओं और बोलियों की कुल संख्या क्रमशः १७९ तथा ५४४ गिनाई है, जो आर्य, द्रविड़, आग्नेय, तिब्बती-बर्मी ( एकाक्षर ) भाषा-परिवारों से सम्बद्ध है। ऐसा माना जाता है कि विश्व के किसी भी देश में अब तक भाषाओं का ऐसा सर्वेक्षण नहीं हुआ है। ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002622
Book TitleAgam aur Tripitak Ek Anushilan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagrajmuni
PublisherArhat Prakashan
Publication Year1982
Total Pages740
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Literature
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy