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________________ भाषा और साहित्य ! विश्व भाषा प्रवाह [ ७६ यूराल के दक्षिणी मैदानों में कहीं उन्हें अश्व मिला होगा । उसे उन्होंने प्रशिक्षित किया होगा । वे उसे वाहन और भार वहन के उपयोग में लेने लगे होंगे। ॠग्वेद में अश्व की बड़ी प्रशंसा की गयी है । उसकी ऋचाओं में अश्व का जो महत्व है, वह गाय का नहीं है । आर्यों को गाय का परिचय और उसकी उपयोगिता का ज्ञान सम्भवतः बाद में हुआ होगा । विद्वानों का अभिमत है कि उस समय मेसोपोटेमिया में बेल, ऊंट और गधे का उपयोग होता था । स्फूर्ति और गति में अश्व के समक्ष वे पशु नहीं टिक सके । यही कारण है कि अश्व के साथ उनका ( आर्यों का ) अभियान उत्तरोत्तर सफल और विजयशील होता गया । । उनके अभियान को सफलता का एक और हेतु उनका संगठन भी था । आर्यों के सामाजिक संगठन, व्यवस्था तथा जीवन क्रम के सम्बन्ध में डा० बाबूराम सक्सेना ने लिखा है : "वीरों के विषय में विद्वानों का अनुमान है कि पशु-पालन और शिकार इनकी जीविका के मुख्य साधन थे । खेतीबारी इन्होंने दक्खिन के प्रदेशों में आकर इन प्रदेशों के तत्कालीन मनुष्यों से सीखी। तभी इन्हें गाय और बैल का महत्व मालूम हुआ 1 इनके मूल स्थान में फलों के वृक्ष भी न थे । फलों का अधिकाधिक प्रयोग भी इन्होंने इन्हीं जातियों से सीखा I वीरों में समाज का संगठन: पितृ प्रधान था । बहु-विवाह की प्रथा न थी । कई कुल मिला कर एक गोत्र बनता था । इनका दिमाग ऊँचे दर्जे का था । संगठन अच्छा था । स्त्री-पुरुष के परस्पर व्यवहार में यथेष्ट संयम था । स्त्री जाति का समुचित आदर था । कन्या का विवाह पिता, बड़े भाई आदि की इच्छा और आज्ञा से होता था । धर्म के क्षेत्र में इनको अलक्षित देवी सत्ता पर विश्वास था और इसकी विविध देव-शक्तियों के रूप में कल्पना की गयी थी । पृथ्वी लोक के परे द्योलोक देवी शक्तियों का निवास स्थान था । द्यौः, पिता, सविता, पृथ्वी, उषा आदि देवताओं की संख्या परिमित ही थी, मिस्री और मेरी जातियों की तरह इनके देवी-देवता बहुतेरे न थे । स्पष्ट ही हैं कि तरह इस सुसंगठित और संयमी, शरीर, मन और आत्मा के हृष्टपुष्ट वीर जहां भी गये, वहां अपनी शक्ति की स्थापना कर सके और अपनी वाणी का प्रभुत्व अन्य प्राणियों पर स्थापित कर सके 11 * शारीरिक, मानसिक तथा चारित्रिक विशेषता लिये आर्य ईरान होते हुए भारत पहुंचे । ईरान में आगमन और आवास के सम्बन्ध में पीछे उल्लेख किया जा चुका है । वे भारत में सबसे पहले पंचनद तथा सरस्वती व दृषद्वती द्वारा परिवृत भू-खण्ड में टिके ! क्या आर्य एक साथ आये ? एक प्रश्न इस प्रसंग में और विचारणीय है । आर्यों के भारत आने के विषय में विद्वानों के अनेक मत हैं । कुछ मानते हैं, एक ही बार में आर्य भारत में आ गये और वे ही आगे फैलते सामान्य भाषा विज्ञान, पृ० ३२७ १. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002622
Book TitleAgam aur Tripitak Ek Anushilan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagrajmuni
PublisherArhat Prakashan
Publication Year1982
Total Pages740
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Literature
File Size14 MB
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