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इतिहास और परम्परा] त्रिपिटकों में निगण्ठ व निगण्ठ नातपुत्त
३६१ 'तपस्विन् ! तीन दण्डों में से निगण्ठ नातपुत्त ने किस दण्ड को महादोष-युक्त कहा
है?"
"आवुस गौतम! काय-दण्ड को।" "तपस्विन् ! काय-दण्ड को !" "आवुस गौतम ! हो, काय-दण्ड को।"
गौतम बुद्ध ने तपस्वी निर्ग्रन्थ से वही प्रश्न तीन बार पूछा और तपस्वी ने वही उत्तर दिया। इस प्रकार बुद्ध ने तपस्वी निर्ग्रन्थ को एक ही कथा-वस्तु में तीन बार प्रतिष्ठापित किया।
दीर्घ तपस्वी निर्ग्रन्थ ने बुद्ध से पूछा-"आवुस गौतम ! पाप-कर्म करने के लिए, पाप कर्म की प्रवृत्ति के लिए तुम कितने 'दण्ड' का विधान करते हो?"
___ "तपस्विन् ! 'दण्ड' का विधान करना तथागत की परम्परा के विरुद्ध है। वे तो 'कर्म' का ही विधान करते हैं।"
"आवस गौतम ! तुम कितने कर्मों का विधान करते हो?" "तपस्विन् ! मैं तो तीन कर्म बतलाता हूँ-काय-कर्म, वचन-कर्म और मन-कर्म।" "क्या वे भिन्न-भिन्न हैं ?" "हाँ, वे भिन्न-भिन्न हैं।" "इस प्रकार विभक्त इन तीन कर्मों में तुम किसको महादोषी ठहराते हो ?" "मन-कर्म को महादोषी बतलाता हूँ।" "मन-कर्म को?" "हां, मन-कर्म को।"
तपस्वी निर्ग्रन्थ ने बुद्ध से वही प्रश्न तीन बार पूछा और बुद्ध ने वही उत्तर दिया। इस प्रकार तपस्वी निर्ग्रन्थ ने बुद्ध को उसी कथा-वस्तु (विवाद) में तीन बार प्रतिष्ठापित किया। वहाँ से उठा और निगंठ नातपुत्त के पास चला आया।
निगंठ नातपुत्त उस समय महती गृहस्थ.परिषद् से घिरे थे । बालक लोणकार-निवासी उपालि भी उसमें उपस्थित था। दूर से आते हुए दीर्घ तपस्वी निर्ग्रन्थ को देख कर निगंठ नातपुत्त ने पूछा-"तपस्विन् ! मध्याह्न में तू कहां से आ रहा है ?"
"भन्ते । श्रमण गौतम के पास से आ रहा हूँ।" "श्रमण गौतम के साथ क्या तेरा कुछ कथा-संलाप हुआ ?" "हो, भन्ते !"
निगंठ नातपुत्त के निर्देश से दीर्घ तपस्वी निर्ग्रन्थ ने वह सारा कथा-संलाप सुनाया। निगंठ नातपुत्त ने दीर्घ तपस्वी निम्रन्थ को साधुवाद देते हुए उसके पक्ष का प्रबल समर्थन किया और कहा-"शास्ता के शासन (उपदेश) का सम्यग् ज्ञाता, बहुश्रुत श्रावक काय-दण्ड को ही महादोषी बतलायेगा; वचन-दण्ड व मन-दण्ड को उस श्रेणी में नहीं।"
उपालि गृहपति ने भी निगंठ नातपुत्त के कथन का समर्थन किया और दीर्ष तपस्वी निर्ग्रन्थ को साधुवाद दिया। साथ ही उसने यह भी कहा-"भन्ते ! यदि आप अनुज्ञा दें, तो मैं जाऊँ और इसी कथा-वस्तु में श्रमण गौतम के साथ शास्त्रार्थ करूं ? श्रमण गौतम ने
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