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आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[ खण्ड : १ आमंत्रित करने के लिए भेजा था। बुद्ध स्वयं नहीं आये। महाकात्यायन को दीक्षित कर उज्जनी भेज दिया। उस प्रसंग पर चण्ड-प्रद्योत बुद्ध का अनुयायी बना। बुद्ध से उसके साक्षास्कार का कोई घटना-प्रसंग बौद्ध-साहित्य में नहीं मिलता।
दोनों ही परम्पराओं के आधारभूत ग्रन्थों में चण्ड-प्रद्योत के सम्बन्ध में धर्मानुयायी होने का कोई उल्लेख नहीं है। कथा-साहित्य में ही मुख्यतः सारा विवरण मिलता है । वह महावीर और बुद्ध का अनुयायी कैसे रहा, यह एक प्रश्न ही रह जाता है। हो सकता है, पहले वह एक का अनुयायी रहा हो, फिर दूसरे का। यह भी सम्भव है, दोनों ही परम्पराओं से रहे यत्किचित् सम्पर्क को भी बढ़ावा देकर कथाकारों ने अपना-अपना अनुयायी बना लिया हो।
उदयन
कौशाम्बी का राजा उदयन भी एक ऐतिहासिक व्यक्ति रहा है। जैन, बौद्ध और वैदिक, तीनों ही परम्पराओं में इसका जीवन-वृत्त यत्किचित् भेद-प्रभेद से मिलता है। इस राजा के पास हाथिओं की बहुत बड़ी सेना थी। वीणा बजाकर यह हाथिओं को पकड़ा करता था।
आगमों में
जैनागम भगवती में बताया गया है, "उस समय वहाँ राजा सहस्रानीक का पौत्र, शतानीक का पुत्र, वैशाली के राजा चेटक की पुत्री मृगावती देवी का आत्मज, श्रमणोपासिका जयन्ती का भतीजा, उदयन नामक राजा राज्य करता था। भगवान् महावीर कौशाम्बी में पधारे। यह संवाद पाकर राजा उदयन हृष्ट-तुष्ट हुआ। उसने कौटुम्बिक पुरुष को बुलाया और कूणिक की तरह सब आज्ञाएँ दीं।
"कूणिक की तरह ही साजसज्जा से वह भगवान महावीर के समवसरण में गया। उसके साथ उसकी माता मृगावती तथा बूआ जयन्ती* गई। सब ने धर्म-देशना सुनी।"
जैन आगम विपाक में उसकी रानी पद्मावती की दुराचार कथा का वर्णन है । गौतम महावीर से इस सम्बन्ध में अनेक प्रश्न करते हैं और महावीर विस्तार से उनका उत्तर देते हैं। विपाक सूत्र में भी इस राजा को हिमालय की तरह महान् और प्रतापी बताया गया है।
जैन कथा-साहित्य में चण्ड-प्रद्योत के साथ होने वाले युद्ध तथा वासवदत्ता-सम्बन्धी वर्णन भी विस्तार से मिलता है ।
१. विशेष विस्तार के लिए देखें, 'भिक्षु-संघ और उसका विस्तार' प्रकरण के अन्तर्गत
'महाकात्यायन' ; तथा थेरगाथा-अट्ठकथा, भाग १, पृ० ४८३ । २. शतक १२, उद्देशक २। ३. विशेष विवरण के लिए देखें, इसी प्रकरण के अन्तर्गत 'अजातशत्रु कूणिक'। ४. विशेष विवरण के लिए देखें, 'भिक्षु-संघ और उसका विस्तार' प्रकरण के अन्तर्गत _ 'जयन्ती'। ५. श्रुतस्कन्ध १, अध्ययन ५।
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