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आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[सण्ड:१
के पिता का नाम उपश्रेणिक बताया गया है। श्रीमद् भागवत पुराण में श्रेमिक को विधिसार तथा उसके पिता को क्षेत्र कहा गया है। अन्यत्र उसके भट्टिय, महापद्म, हेमजित्, क्षेत्रोजा, क्षेत्प्रोजा आदि विभिन्म नाम होते हैं ।
रानियां
जैन-साहित्य में श्रेणिक की २५ रानियों के नाम उपनम्ब होते हैं। नन्दा आदि १३ रामियों के नाम तथा काली, सुकाली आदि १० रानियों के नाम अन्तगडसामओ में मिलते हैं। ये श्रेणिक की मृत्यु के पश्चात् महावीर के पास दीक्षित होती हैं । दमासुयसन्ध में चेलणा का साम्राज्ञी के रूप में वर्णन आया ही है। निक्षीय बूणि में श्रेणिक की एक पत्नी का नाम अपतगंधा आया है, जो विशेष प्रसिद्ध नहीं है। पायायामकहाओ में श्रेणिक की धारिणी रानी का विशद वर्णन है।
विनय पिटक में राजा बिम्बिसार के ५०० पत्नियां बताई गई हैं । जीवक कोमार मृत्य ने बिम्बिसार के भगन्दर सेग का उपचार एक लेप में कर दिका। प्रसन्न हो, बिम्बिसार ने ५०० स्त्रियों को अलंकृत कर उनके सब आभूषण जीयक को उपहार रूप में दिये। यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता, ये ५०० श्रेणिक की रानियाँ ही रही हों।
बौद्ध मान्यता के अनुसार राजा प्रसेनजित् को बहिन कोसलदेवी बिम्बिसार की पटरानी थी। इसके दहेज में एक लाख कार्षापण की एक आय वाला एक गांव बिम्बिसार को मिला था।
रानी खेमा मद्र-देश की राज-कन्या थी। वह रूप-गविता थी। प्रतिबोध पाकर बुद्ध के पास दीक्षित हुई।
उज्जयिनी की गणिका पद्मावती भी श्रेणिक की पत्नी मानी गई है।
अमितायुयान सूत्र में वैदेही वासवी के बिम्बिसार की रानी होने का उल्लेख मिलता है।
बिम्बिसार की रानियों के विषय में जैन और बौद्ध समुल्लेख परस्पर भिन्न है । लगता
१. तथास्ति मगधे देशे पुरं राजगृहं परम् ।
तत्रोपश्रेणिको राजा तद्भार्या सुप्रभा प्रभा॥१॥ तयोरन्योन्यसंप्रीतिसंलग्नमनसोरभूत् ।
तनयः श्रेणिको नाम सम्यक्त्व कृतमूषणः ॥२॥ २. स्कन्ध १२, अ० १, पृ० ६०३ । 3. Political History of Ancient India, p. 205 ४. सभाष्य, भा० १, पृ० १७ । ५. णायाधम्मकहाओ, अ० १ सू०८ (पत्र १४-१)। ६. महावग्ग, ८-१-१५। ७. जातक २-४०३; Dictionary of Pali Proper Names, Vol. II, p. 286;
संयुत्त निकाय , अट्ठकथा। ८. थेरी गाथा-अट्ठकथा, १३६-१४३ । ६. थेरी गाथा, ३१-३२ ।
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