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________________ २३४ आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन ५. भिक्षुओ ! उत्तम वस्तुओं के दाताओं में महानाम शाक्य ' है । ६.........................मनाप (प्रिय) वस्तुओं के दाताओं में गृहपति उग्र*...। ........ संघ- सेवकों में गृहपति उद्गत ...। ८... • अत्यन्त प्रसन्नमना में शूर अम्बष्ट ४ ... । ह.......................पुद्गल (व्यक्तिगत ) प्रसन्नमना में जीवक कौमार मृत्य ... • विश्वस्तों में गृहपति नकुल-पिता ...। १०.... १. भिक्षुओ ! मेरी श्राविकाओं में प्रथम शरण ग्रहण करने वाली उपासिकाओं में सुजाता अग्र है | • दायिकाओं में विशाखा मृगारमाता ...। • बहुश्रुताओं में खुज्ज - उत्तरा .. ***1 • मैत्री विहार प्राप्तों में सामावती १०...। - ध्यायिकाओं में उत्तरा नन्दमाता ११... • प्रणीत-दायिकाओं में सुप्रवासा कोलिय- दुहिता • रुग्णों की शुश्रूषिकाओं में उपासिका सुप्रिया...। • अत्यन्त प्रसन्नमना में कात्यायनी १४... ५ · ......... विश्वस्तों में गृहपत्नी नकुल- माता १५... | १०. "अनुश्रव प्रसन्नमना में उपासिका काली १६...। उल्लिखित उपासक - उपासिकाओं में कुछ के नामोल्लेख मात्र ही मिलते हैं और कुछ के नाना घटना-प्रसंग । तपस्सुक और भल्लुक ने बोधि-लाभ के पश्चात् बुद्ध को मोदक और १. शाक्य, कपिलवस्तु, क्षत्रिय, (अनुरुद्ध का ज्येष्ठ भ्राता) २. वज्जी, वैशाली, श्रेष्ठि-कुल । ३. वज्जी, हस्तिग्राम श्रेष्ठि-कुल । ४. कौशल, श्रावस्ती, श्रेष्ठि-कुल । ५. मगध, राजगृह, अभयकुमार और सातवलिका गणिका से उत्पन्न । ६. भग्ग, संसुमारगिरि, श्रेष्ठि-कुल । ७. मगध, उरुवेला सेनानी-ग्राम, सेनानी कुटुम्बिक की पुत्री । ८. कौशल, श्रावस्ती, वैश्य । ६. वत्स, कौशाम्बी, घोषक श्रेष्ठी की धाय की पुत्री । १०. भद्रवती राष्ट्र, भद्रिका नगर, भद्रवतिक श्रेष्ठि-पुत्री, पश्चात् वत्स, कौशाम्बी, घोषित श्रेष्ठी की धर्मपुत्री ; वत्सराज उदयन की महिषी । ११. मगध, राजगृह, सुमन श्रेष्ठी के अधीन पूर्णसिंह की पुत्री । १२. शाक्य, कुण्डिया, सीवली माता क्षत्रिय । १३. काशी, वाराणसी, वैश्य । १४. अवन्ती, कुररघर ( वश्य) नोणकुटिकण्ण की माता । १५. भग्ग, संसुमारगिरि । [ खण्ड : १ १६. मगध, राजगृह, कुलगेह में उत्पन्न और अवन्ती के कुररघर में उद्वाहिता । - अंगुत्तर निकाय, ऐककनिपात, १४ के आधार से । Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002621
Book TitleAgam aur Tripitak Ek Anushilan Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagrajmuni
PublisherConcept Publishing Company
Publication Year1987
Total Pages744
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & History
File Size15 MB
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