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इतिहास और परम्परा प्रमुख उपासक उपासिकाएँ
२३३ उवासगदसाओ के दश उपासकों के नाम हैं-१: आनन्द, २. कामदेव, ३. चूलिणीप्पिया, ४. सुरादेव, ५. चुल्लशतक, ६. कुण्डकोलिक, ७. शकडाल-पुत्र, ८. महाशतक, ६. नन्दिनीपिता, १०. सांलिहीपिता। इनके ग्राम-नगर हैं- १. वाणिज्य ग्राम, २. चम्पानगरी, ३-४. वाराणसी, ५. आलम्भिका, ६. काम्पिल्यपुर, ७. पोलासपुर ८. राजगृह, ६.१०. श्रावस्ती। इनके पास क्रमशः गौएँ थीं-१. चालीस सहस्र, २. साठ सहस्र, ३. अस्सी सहस्र ४. साठ सहस्र, ५. साठ सहस्र, ६. साठ सहस्र, ७. दश सहस्र, ८. अस्सी सहस्र, ६. चालीस सहस्र, १०. चालीस सहस्र ।
इनकी धन-राशि का उल्लेख क्रमशः इस प्रकार मिलता है-१. बारह हिरण्य कोटि, २. अट्ठारह हिरण्य कोटि, ३. चौबीस. हिरण्य कोटि, ४-५-६. अट्ठारह-अट्ठारह हिरण्य कोटि, ७. तीन हिरण्य कोटि, ८. चौबीस हिरण्य कोटि, ६-१० बारह-बारह हिरण्य कोटि।
दश उपासकों के अतिरिक्त भी महावीर के अनेक उपासक-उपासिकाए थी; जिनमें-१. शख, २. पोखली,२३. सुदर्शना, ४. सुलसा, ५. रेवती' आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
महावीर के कुल श्रावक १ लाख ५६ सहस्र तथा श्राविकाएँ३ लाख १८ सहस्र बताई गई हैं। यह कहीं नहीं बताया गया है कि यह संख्या किस कोटि के श्रावकों की है, अ मात्र कीया केवल आनन्द आदि द्वादश व्रतधारी श्रावकों को।
प्रमुख बौद्ध उपासक-उपासिकाएँ
बुद्ध ने एतदग्ग वग्ग में निम्न उपासक-उपसिकाओं की गणना की है
१. भिक्षुओ! मेरे उपासक श्रावकों में प्रथम शरण आने वालों में तपस्सु और भल्लुक वणिक अग्र हैं।
२............दाताओं में अनाथ-पिण्डिक सुदत्त गृहपतिः ...। ३........ धर्म-कथिकों में चित्र गृहपति....। ४........'चार संग्रह वस्तुओं से परिषत् को संयोजित करने वालों में हस्तक आल
वक...१११
१. भगवती सुत्त , श०१२, उ०१। २. वही। ३. वही। ४. आवश्यक चूर्णि। ५. भगवती सुत्त, श०१५। ६. समवायांग, सूत्र ११४-११५। ७. असितजन नगर, कुटुम्बिक गेह । ८. वही। ६. कौशल, श्रावस्ती, सुमन श्रेष्ठि-पुत्र। १०. मगध, मच्छिकाषण्ड, श्रेष्ठि-कुल । ११. पंचाल, आलवी, राजकुमार।
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