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इतिहास और परम्परा] पारिपाश्विक भिक्ष-भिक्षुणियाँ
२२७ ४१. भिक्षुओ ! रुक्ष चोवर-घारियों में मोघराज' है। भिक्षुणियों में अग्रगण्य
१. भिक्षुओ ! मेरी रक्तज्ञा भिक्षुणियों में महाप्रजापति गौतमी अग्रगण्या है। २. ......... महाप्रज्ञाओं में खेमा...। ३. .........."ऋद्धि-शालिनियों में उत्पलवर्णा...। ४. ..........विनयधराओं में पटाचारा...।
.......धर्मोपदेशिकाओं में धम्मदिन्ना...। ...........ध्यायिकाओं में नन्दा...। ........... उद्यमशीलाओं में सोणा८...। ............दिव्य चाक्षुकों में सकुला।
........... प्रखर प्रतिमाशालिनियों में भद्राकुण्डलकेशा'....। १०. ........ पूर्वजन्म का अनुस्मरण-कारिकाओं में भद्रा कापिलायनी...। ११. .......... महा-अभिज्ञाघारिकाओं में भद्रा कात्यायिनी'२...। १२. ........... रुक्ष चीवर-घारिकाओं में कृशा गौतमी...। १३. .........श्रद्धा-युक्तों में शृगाल माता१४...।
आगम-साहित्य में एतदग्ग-वग्ग की तरह नामग्राह कोई व्यवस्थित प्रकरण इस विषय का नहीं मिलता, पर, कप्प सुत्त का केवली आदि का संख्याबद्ध उल्लेख महावीर के भिक्ष संघ की व्यापक सूचना दे देता है । उववाई में निर्ग्रन्थों के विविध तपों का और उनकी अन्य विविध विशेषताओं का सविस्तार वर्णन है। तप के विषय में बताया गया है-"अनेक भिक्ष कनकावली तप करते थे। अनेक भिक्षु एकावली तप, अनेक भिक्षु लघुसिंहनिष्क्रीडित तप, अनेक मिक्ष महासिंहनिष्णक्रीड़ित तप, अनेक भिक्षु भद्र प्रतिमा, अनेक भिक्षु महाभद्र प्रतिमा, अनेक भिक्षु सर्वतोभद्र प्रतिमा, अनेक भिक्षु आयंविल वर्द्धमान तप, अनेक भिक्षु मासिकी भिक्ष प्रतिमा, अनेक भिक्षु द्विमासिकी भिक्षु प्रतिमा से सप्त मासिकी भिक्षु प्रतिमा, अनेक भिक्ष
१. कौशल, श्रावस्ती, ब्राह्मण, बावरी-शिष्य। २. शाक्य, कपिलवस्तु, क्षत्रिय, शुद्धोदन की पत्नी। ३. मद्र, सागल, राजपुत्री, मगधराज बिम्बिसार की पत्नी। ४. कौशल, श्रावस्ती, श्रेष्ठिकुल । ५. वही। ६. मगध, राजगृह, विशाख श्रेष्ठी की पत्नी। ७. शाक्य, कपिलवस्तु, महाप्रजापती गौतमी की पुत्री। ८. कौशल, श्रावस्ती, कुल-गेह ।
६. वही। १०. मगध, राजगृह, श्रेष्ठिकुल । ११. मद्र, सागल, ब्राह्मण, महाकाश्यप की पत्नी। १२. शाक्य, कपिलवस्तु, क्षत्रिय, राहुल-माता-देवदहवासी सुप्रबुद्ध शाक्य की पुत्री। १३. कौशल, श्रावस्ती, वैश्य। १४. मगध, राजगृह, प्रेष्ठिकुल ।
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