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२२४ आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[खण्ड : १ है, पर, दोनों ही अपने-अपने धर्म-नायक की प्रथम शिष्या रही हैं और अपने-अपने भिक्षुणीसंघ में अग्रणी भी।
गौतमी के जीवन की दो बातें विशेष उल्लेखनीय हैं। उसने नारी-जाति को भिक्षसंघ में स्थान दिलवाया तथा भिक्षुणियों को भिक्षुओं के समान ही अधिकार देने की बात बुद्ध से कही । बुद्ध ने गौतमी को प्रव्रजित करते समय कुछ शर्ते उस पर डाल दी थीं, जिनमें एक थी-चिर-दीक्षिता भिक्षुणी के लिए भी सद्य:-दीक्षित भिक्षु वन्दनीय होगा। गौतमी ने उसे स्वीकार किया, पर, प्रवजित होने के पश्चात् बहुत शीघ्र ही उसने बद्ध से प्रश्न कर लिया "भन्ते ! चिर-दीक्षिता भिक्षुणी ही नव-दीक्षित भिक्षु को नमस्कार करे; ऐसा क्यों ? क्यों न नव दीक्षित भिक्ष ही चिर-दीक्षिता भिक्षुणी को नमस्कार करे ?” बुद्ध ने कहा-“गौतमी ! इतर धर्म-संघों में भी ऐसा नहीं है। हमारा धर्म-संघ तो बहुत श्रेष्ठ है।"
आज से अढ़ाई हजार वर्ष पूर्व गौतमी द्वारा यह प्रश्न उठा लेना, नारी-जाति के आत्म-सम्मान का सूचक है। बुद्ध का उत्तर इस प्रश्न की अपेक्षा में बहुत ही सामान्य हो जाता है। उनके इस उत्तर से पता चलता है, महापुरुष भी कुछेक ही नवीन मूल्य स्थापित करते हैं; अधिकांशतः तो वे भी लौकिक व्यवहार व लौकिक ढरों का अनुसरण करते हैं। अस्तु, गौतमी की वह बात भले ही आज पच्चीस सौ वर्ष बाद भी फलित न हुई हो, पर, उसने बुद्ध के समक्ष अपना प्रश्न रख कर नारी-जाति के पक्ष में एक गौरवपूर्ण इतिहास तो बना ही दिया है।
गौतमी के अतिरिक्त खेमा, उत्पलवर्णा, पटाचारा, भद्रा कुण्डल-केशा, भद्रा कापिलायनी आदि अन्य अनेक भिक्षुणियां बौद्ध धर्म-संघ में सुविख्यात रही हैं। बुद्ध ने एतदग्ग वग्ग में अपने इकतालीस भिक्षुओं तथा बारह भिक्षुणियों को नाम-ग्राह अभिनन्दित किया है तथा पृथक्-पृथक् गुणों में पृथक्-पृथक् भिक्षु-भिक्षुणियों को अग्रगण्य बताया है। भिक्षुओं में अग्रगण्य
बुद्ध कहते हैं१ भिक्षुओ! मेरे अनुरक्तज्ञ भिक्षुओं में आज्ञा कौण्डिन्य अग्रगण्य है। २..........'महाप्राज्ञों में सारिपुत्त....। ३..........ऋद्धिमानों में महामोग्गल्लान५...। ४... 'धुतवादियों (त्यागियों) में महाकाश्यप ...। ५......... दिव्यचाक्षुकों में अनुरुद्ध...।
१. विनय पिटक, चुल्लवग्ग, भिक्खुणी खन्धक । २. अंगुत्तर निकाय, एकेकनिपात, १४ के आधार से। ३. शाक्य, कपिलवस्तु के समीप द्रोण-वस्तु ग्राम, ब्राह्मण । ४. मगध, राजगृह से अविदूर उपतिष्य (नालक) ग्राम, ब्राह्मण । ५. मगध, राजगृह से अविदूर कोलित ग्राम, ब्राह्मण । ६. मगध, महातीर्थ ब्राह्मण ग्राम, ब्राह्मण। ७. शाक्य, कपिलवस्तु, क्षत्रिय, बुद्ध के चाचा अमृतौदन शाक्य के पुत्र ।
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