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__ आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
रहे थे। ऐसी स्थिति में विशेष आश्चर्य की बात नहीं रह जाती कि बहु-संख्यक लोग घर छोड़ एक साथ प्रवजित हो जाते हों। अस्तु, कुछ भी रहा हो, प्रस्तुत प्रकरण तो दोनों परम्पराओं के इतिहास, भाव-भाषा आदि को समझने का ही है।
प्रस्तुत प्रकरण में दोनों ही परम्पराओं के जो दीक्षा-प्रसंग दिए गए हैं, वे न तो क्रमिक हैं और न समन ही हैं । चुने हुए मुख्य-मुख्य प्रसंग यहां संग्रहीत किए गये हैं।
निर्ग्रन्थ दीक्षाएं
ग्यारह गणषर
सोमिल ब्राह्मण मध्यम पावापुरी में एक विशाल यज्ञ का अनुष्ठान कर रहा था । सारे शहर में अद्भुत चहल-पहल थी। यज्ञ में भाग लेने के लिए दूर-दूर से सुप्रसिद्ध विद्वान् अपने बृहत् शिष्य-परिवार से आए थे। इन्द्रभूति, अग्निभूति, वायुभूति, व्यक्त, सुधर्मा, मण्डित (मण्डिक), मौर्यपुत्र, अकम्पित, अचलभ्राता, मेतार्य और प्रभास, उनमें प्रमुख थे । इन्द्रभूति, अग्निभूति और वायुभूति गौतम गोत्री और मगध देश के गोबर गांव के निवासी थे। तीनों ही चौदह विद्याओं में पारंगत थे और प्रत्येक के पाँच-पाँच सौ शिष्य थे। व्यक्त और सुधर्मा कोल्लाग सन्निवेश के निवासी थे । व्यक्त भारद्वाज गोत्री और सुधर्मा अग्नि वैश्यायन गौत्री थे। दोनों के ही पांच-पांच सौ शिष्य थे। मण्डित और मौर्यपत्र मौर्यसन्निवेश के थे। मण्डित वासिष्ठ और मौर्यपुत्र काश्यप गोत्री थे। दोनों के साढे तीन-तीन सौ शिष्य थे। अकम्पित मिथिला के थे और गौतम गौत्री थे। अचलभ्राता कौशल के थे और उनका गौत्र हारित था। मेतार्य कौशाम्बी के निकटस्थ तंगिक के निवासी थे और प्रभास राजगह के। दोनों कौण्डिन्य गोत्री थे। चारों के तीन-तीन सौ शिष्य थे। यज्ञ के विशाल आयोजन में इन ग्यारह ही विद्वानों की उपस्थिति ने चार चांद लगा दिये।
ग्यारह ही विद्वान् अपने दर्शन के अधिकृत व्याख्याता, सूक्ष्मतम रहस्यों के अनुसंधाता व अपर दर्शनों के भी ज्ञाता थे ; किन्तु सभी विद्वान् किसी-न-किसी विषय में संदिग्ध भी थे। वे इतने दक्ष थे कि अपनी आशंकाओं को अपने शिष्य-परिवार में व्यक्त न होने देते थे। उनकी आशंकाओं का ब्यौरा इस प्रकार है :
१. इन्द्रभूति- आत्मा का अस्तित्व है या नहीं ? २. अग्निभूति- कर्म है या नहीं ? ३. वायुभूति- जो जीव है, वही शरीर है ? ४. व्यक्त
पंचभूत है या नहीं? ५. सुधर्मा- इस भव में जो जैसा है, पर भव में भी वह वैसा ही होता है ? ६. मण्डित
कर्मों का बन्ध व मोक्ष कैसे है ? ७. मौर्यपुत्र
स्वर्ग है या नहीं? ८. अकम्पित- नरक है या नहीं ? ६. अचल भ्राता- पुण्य-पाप है या नहीं? १०. मेतार्य
परलोक है या नहीं? ११. प्रभास
निर्वाण है या नहीं ?
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