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इतिहास और परम्परा]
परिषह और तितिक्षा
अपने विचार को क्रियान्वित करने के लिए वह शीघ्र ही पोलास चैत्य में आया। ध्यानारूढ़ महावीर को देखा। उन्हें विचलित करने के लिए एक ही रात्रि में एक के बाद एक, बीस प्रकार के भयंकर कष्ट दिए। वे क्रमशः इस प्रकार हैं :
१. प्रलय-काल की तरह धूलि की भीषण वृष्टि की। महावीर के कान, नेत्र, नाक __ आदि इस धूलि से सर्वथा सन गये। २. वज्रमुखी चींटियाँ उत्पन्न की। उन्होंने महावीर के सारे शरीर को खोखला कर
दिया। ३. मच्छरों के झुण्ड बनाए और उन्हें महावीर पर छोड़ा । उन्होंने उनके शरीर का ____ बहुत खून चूसा। ४. तीक्ष्णमुखी दीमकें उत्पन्न की। वे महावीर के शरीर पर चिमट गईं और उन्हें ___काटने लगीं । ऐसा लगता था, जैसे कि उनके रोंगटे खड़े हो गये हों। ५. जहरीले बिच्छुओं की सेना तैयार की। उन्होंने एक साथ महावीर पर आक्रमण
किया और अपने पैने डंक से उन्हें डंसने लगे। ६. नेवले छोड़े । भयंकर शब्द करते हुए वे महावीर पर टूट पड़े और उनके मांस ___ खण्ड को छिन्न-भिन्न करने लगे। ७. नुकीले दाँत और विष की थैलियों से भरे सर्प छोड़े। वे महावीर को बार-बार
काटने लगे। अन्ततः जब वे निर्विष हो गये तो शिथिल होकर गिर पड़े। ८. चूहे उत्पन्न किए। वे महावीर को अपने नुकीले दाँतों से काटने के साथ-साथ
उन पर मूत्र-विसर्जन भी करते । कटे हुए घावों पर मूत्र नमक का काम करता। ९. लम्बी संढ वाला हाथी तैयार किया। उसने महावीर को आकाश में पुनः पुनः
उछाला और गिरते ही उन्हें अपने पैरों से रौंदा तथा उनकी छाती पर तीखे दाँतों
से प्रहार किया। १०. हाथी की तरह हथिनी बनाई और उसने भी महावीर को बार-बार आकाश में
उछाला तथा अपने पैरों से रौंदकर तीखे दान्तों से प्रहार किया। ११. बीभत्स पिशाच का रूप बनाया और वह भयानक किलकारियां भरता हुआ
हाथ में पैनी बर्थी लेकर महावीर पर झपटा। पूरी शक्ति से उन पर आक्रमण
किया। १२. विकराल व्याघ्र बनकर वच-सदृश दान्तों और त्रिशूल-सदृश नाखूनों से महावीर
के शरीर का विदारण किया। १३. सिद्धार्थ और त्रिशला बनकर हृदय-भेदी विलाप करते हुए उन्होंने कहा-'वर्द्ध
मान ! वृद्धावस्था में हमें असहाय छोड़ कर तू कहाँ चला आया?" १४. महावीर के दोनों पैरों के बीच में अग्नि जलाकर भोजन पकाने का बर्तन रखा।
महावीर उस अग्नि-ताप से विचलित न हुए, अपितु उनकी कान्ति स्वर्ण की
भांति निखर उठी। १५. महावीर के शरीर पर पक्षियों के पिंजरे लटका दिये । पक्षियों ने अपनी चोंच
और पंजों से प्रहार कर उन्हें क्षत-विक्षत करने का प्रयत्न किया।
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