SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 164
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११० आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन [खण्ड : १ २. चीनी तुर्किस्तान का तिथिक्रम प्रस्तुत निष्कर्ष बौद्ध-परम्परा में बताये गये चीनी तुर्किस्तान वाले तिथिक्रम के साथ भलीभाँति संगत हो जाता है। उस परम्परा में राजा अशोक और राजा शेह्वांगटी की समसामयिकता को मानकर बुद्ध- निर्वाण और अशोक का अन्तर २५० वर्ष माना है। श्री जनार्दन भट्ट ने शेह्वांगटी को ई० पू० २४६ में मानकर बुद्ध-निर्वाण ई० पू० ४६६ में माना है। ई० पू० ५०२ का समय, जो पीछे हम बुद्ध-निर्वाण का समय मान आये हैं, उसमें और इसमें केवल ६ वर्ष का नगण्य-सा अन्तर रहता है । बुद्ध-निर्वाण और अशोक के बीच जो २५० वर्ष का अन्तर माना गया है, वह समय वास्तव में वह है, जिसमें इतिहासकारों ने तीसरी बौद्धसंगीति का होना माना है, जो कि अशोक के राज्य-काल में ई०पू० २५२ में हुई थी; अत: उक्त परम्परा के आधार से भी बुद्ध-निर्वाण काल ई० पू० ५०२ ही आ जाता है । एक अन्य तिब्बती परम्परा, जिसका उल्लेख डॉ० स्मिथ ने अर्ली हिस्ट्री ऑफ इण्डिया में किया है, बताती है कि अशोक का राज्यारोहण बुद्ध-निर्वाण के २३४ वर्ष बाद हुआ। इससे भी बुद्धनिर्वाण-काल २६६+२३४ =५०३ ई० पू० आता है । ३. अशोक के शिलालेख सम्राट अशोक द्वारा उत्कीर्ण शिलाएँ व स्तम्भ सचमुच ही भारतीय इतिहास की आधार-शिला व आधार-स्तम्भ हैं । इन आधारों ने इतिहास के बहुत सारे संदिग्ध तथ्यों को असंदिग्ध बना दिया है । बुद्ध-निर्वाण-काल-विषयक प्रस्तुत निष्कर्ष के सम्बन्ध में भी कुछ एक शिलालेख सबल प्रमाण बनते हैं । सम्राट अशोक द्वारा उत्कीर्ण अभिलेखों को निम्न विभागों में बांटा गया है : ५ लघु शिलालेख, १४ बृहत् शिलालेख, ४ लघु स्तम्भलेख, ७ बृहत् स्तम्भलेख, ३ गुहालेख, ६ स्फुट शिलालेख । इनमें से लघु शिलालेख सं० १ में, जो कि रूपनाथ, सहसराम और वैराट में उपलब्ध हुआ है, सम्राट अशोक ने लिखा है: देवानं पिये एवं आहा:-सातिलेकानि अढ़तियानि वय सुमि पाका सबके नो चु बाढि पकते; सातिलके चु छच्छरे य सुमि हकं संघे उपेते। "बाढि चु पकते यि। इमाय कालाय जम्बुदिपंसि अमिसा देवा हुसु ते वानि मिसा कटा। पकमयि हि एस फले । नो च एसा महतता पापलेतवे-खुदकेन हि क । १. बुद्धकालीन भारत, पृ० ३७१। २. डॉ. रमाशंकर त्रिपाठी, प्राचीन भरत का इतिहास, पृ० १२६ । ३. पृ० ४४ । 6. Tibetan tradition reckons 10 reigns from No. 26, Ajatasatru to ___No. 15, Asoka, inclusive and places Asoka's accession in 234 A. B. (after Buddha). -Rockhill, Life of Buddha, pp 33 233 ५. जनार्दन भट्ट, अशोक के धर्मलेख। ६. सहसराम तथा वैराट के लेख में "उपासके" है। ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002621
Book TitleAgam aur Tripitak Ek Anushilan Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagrajmuni
PublisherConcept Publishing Company
Publication Year1987
Total Pages744
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & History
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy